कुल्लू (एमबीएम न्यूज) : जिला में वन अधिकार कानून- 2006 को लागू करने की प्रक्रिया के तहत हिमालय नीति अभियान द्वारा सैंज घाटी की धाऊगी पंचायत में लोगों को वन अधिकार कानून की विस्तार से जानकारी दी गई। धाऊगी पंचायत में आयोजित बैठक में लगभग 250 लोगों ने हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता ग्राम पंचायत प्रधान निर्मायणा देवी ने की जबकि बंजार विधानसभा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोती राम पालसरा इस मौके पर विशेष तौर पर मौजूद थे।
हिमालय नीति अभियान के मीडिया प्रभारी धर्मचंद यादव ने बैठक में मौजूद लोगों को वन अधिकार कानून-2006 की जानकारी देते हुये बताया कि इस कानून का मूल उद्देश्य पीढिय़ों से वनों में या वन के बाहर निवास करने वाले वन आश्रित आदिवासी और अन्य परम्परागत वन निवासी, जिन के वन अधिकारों व अधिभोग को कानूनी रूप से दर्ज व मान्य नहीं किया, को वैधानिक मान्यता प्रदान करना है। यानि अंग्रेजों व राजाओं के राज में प्रदेश के किसानों को जो वन बर्तनदारी की छूट दी गई तथा जिसे वन तथा राजस्व के बंदोबस्त और अन्य आदेशों में समय-समय पर दर्ज किया गया है, को अब इस कानून के तहत वैधानिक मान्यता मिलेगी।
उन्होंने बताया कि इस कानून के उदेश्यों में उल्लेखित ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त करने के लिए ही वन निवासियों के वन अधिकारों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया गया है। 14 दिसम्बर 2015 को आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा हिमाचल सरकार को इस बारे स्पष्टीकरण पत्र भी जारी किया गया है। मीडिया प्रभारी ने बताया कि स्थानीय कृषक समुदायों के साथ-साथ घुमन्तु भेड़ बकरी व पशु पालक भी सदियों से अपनी आजीविका के लिए वन भूमि का उपयोग करते आए हैं।
पहाड़ में किसान की अजीविका खेती व बागवानी के साथ-साथ पशुपालन, जंगल से मिलने वाले खाद्य पदार्थ, पशु चारा व पशु चराई,जलावन, जड़ीबूटियाँ, घर बनाने के लिए इमारती लकड़ी, पत्थर, रेत,घास, मिट्टी व बजरी तथा जल संसाधनों इत्यादि पर चलती है। स्थानीय निवासियों के वनों पर सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक दखल व उपयोग भी हैं। जिन्हें वन व राजस्व विभाग के द्स्तवेजों में दर्ज किया गया है। सरकार के दस्तावेजों जैसे वाजिब-उल-अर्ज, नक्शा बर्तन, वन बर्तनदारी रिकॉर्ड इत्यादि में पूरे प्रदेश के अलग-अलग इलाकों की 50 से भी ज्यादा वन बर्तनदारियाँ लिखित हैं। जबकि बहुत से ऐसे भी उपयोग हैं जो पारंपरिक हैं परंतु सरकारी दस्तावेजों में उल्लेखित नहीं हैं। यह कानून इन सभी वन बर्तनदारियों को वैधानिक अधिकार का दर्जा देता है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि धाऊगी पंचायत में सात वन अधिकार समितियों का गठन किया जायेगा और इसकी प्रक्रिया इसी सप्ताह शुरू हो जायेगी। बैठक में हिमालय नीति अभियान से जुड़े वेदराम के अलावा पंचायत समिति सदस्य मीरा देवी, पंचायत सदस्य धनवीर सिंह, ममता देवी, डोलमा देवी, सोहन लाल, ओमी देवी, बेली राम, बीना देवी आदि भी मौजूद थे।