नाहन (रेणु कश्यप): सिरमौर के ट्रांसगिरी क्षेत्र के बनौर गांव की 26 वर्षीय कविता चौहान ने साबित कर दिया है कि हार के बाद जीत होती है। अगर कविता को टीजीटी के कमीशन व एचएएस (एलाईड) के साक्षात्कार में नाकामयाबी नहीं मिलती तो शायद कविता को आगे बढने की प्रेरणा भी नहीं मिलती।
एमए, बीएड कर चुकी कविता ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद टीजीटी बनने का सबसे पहले सपना देखा था। लेकिन इंटरव्यू में असफलता मिली। फिर 2015 में कविता ने लीक से हटकर कुछ करने की ठानी। इस साल कविता ने लगातार प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। सनद रहें कि कविता को एक बार पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भी असफलता मिली थी। इसके अलावा एलाइड में भी अंतिम चयन नहीं हुआ।
आर्थिक रूप से कमजोर संयुक्त परिवार में कविता ऐसी लाडली है, जिसने परिवार को गौरान्वित करवाया है। परिवार में कोई भी जमा दो से आगे नहीं पढा है। 1 मार्च 1990 को जन्मी कविता अब भी सब इंस्पेक्टर बनकर संतुष्ट नहीं है, बल्कि एचएएस बनने का सपना मन में संजोए है। कविता चौहान कहती है कि पिता मदन सिंह व माता विमला देवी के अलावा शिक्षकों से प्रेरणा मिलती है।
कविता को भी एमबीएम न्यूज नेटवर्क के माध्यम से ही सब इंस्पेक्टर बन जाने की खबर सबसे पहले मिली। उन्होंने बताया कि उनके टीचर ने फोन कर एमबीएम न्यूज देखने को कहा था। 2011 में पांवटा डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएट कविता ने 2014 तक एमए व बीएड की शिक्षा पूरी की थी।