शिमला 17 जनवरी : विभागों के आपसी तालमेल न होने से प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना चयनित गांव में बीते चार वर्षों से धरातल पर नहीं उतर पाई है। बता दें कि इस योजना के तहत मशोबरा ब्लॉक के चार गांव का वर्ष 2018-19 के दौरान चयन किया गया था । जिसमें पीरन, रझाणा, बलदेयां पंचायत के गांव सोनल और बलोग पंचायत के डुब्लु गांव शामिल था।
इस योजना के अंतर्गत गांव में मूलभूत सुविधाओं के सृजन के लिए 20-20 लाख का प्रावधान भी किया गया था। इस धनराशि का उपयोग अन्य विभागों के साथ अभिसरण करके किया जाना प्रस्तावित था । जिस बारे बीते 23 अप्रैल 2021 को खंड विकास कार्यालय मशोबरा के एससीबीपीओ कामराज ठाकुर की अध्यक्षता में द्वारा पीरन पंचायत मुख्यालय में बैठक की गई थी जिसमें संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
बैठक में पीरन व नालटा में पेयजल योजना तथा गांव के रास्ते को पक्का करना इत्यादि विकास कार्य अनुमोदित किए थे। बैठक में एसईबीपीओ द्वारा इस योजना को शीघ्र धरातल पर उतारने का आश्वासन भी दिया गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि पीरन को आदर्श ग्राम बनाने के नाम पर लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है तथा बीते चार वर्षों में पीरन गांव में आदर्श ग्राम योजना के तहत एक ईंट भी नहीं लग पाई है। लोग अब इस मामले को ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह के समक्ष उठाने की बात कर रहे हैं।
दूसरी ओर खंड विकास अधिकारी मशोबरा मोहित रत्न ने बताया कि इस योजना को कार्यान्वित करने का जिम्मा सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग और संबंधित पंचायत सचिव का है । इसके बावजूद भी ब्लॉक द्वारा ग्राम विकास परियोजना का प्रारूप तैयार करके जिला कल्याण अधिकारी शिमला को सौंप दिया है। लोगों का कहना है कि यदि इस योजना से ब्लॉक का कुछ लेना देना नहीं है तो दो वर्ष पहले ब्लॉक के अधिकारियों ने इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर बैठक करवाने का औचित्य था।
जिला कल्याण अधिकारी कपिल शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा पीरन, रझाणा और सोनल गांव के लिए प्रथम चरण में दस-दस लाख की राशि जारी की गई है तथा योजना को कार्यान्वित करने का दायित्व संबंधित पंचायत व ब्लॉक का है।