शिमला, 12 दिसंबर : हमीरपुर संसदीय सीट से सांसद व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के खिलाफ हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव खतरे की घंटी हैं। 2024 के चुनावों के लिए अनुराग ठाकुर की डगर इस बार बेहद कठिन होने वाली है। 17 विधानसभाओं वाली हमीरपुर संसदीय सीट का विस्तार हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर व मंडी जिला की एक सीट धर्मपुर से भाजपा अधिकतर सीटों पर चुनाव जीतने में असफल रही है।
हैरानी इस बात की है कि मंडी जिला की 10 सीटों में से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली एकमात्र सीट धर्मपुर में भाजपा उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं, मंडी जिला की अन्य 9 सीटों पर भाजपा चुनाव जीतने में सफल हुई है। जिस तरह से हमीरपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस को बंपर जीत मिली है, उससे साफ है कि केंद्रीय मंत्री अपने गृह क्षेत्र में धीरे-धीरे जनाधार खोते जा रहे हैं।

हालांकि, अनुराग ठाकुर ने इस संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ी है, मगर इस विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी लोकप्रियता पहले से बहुत ज्यादा कम हुई है। बिलासपुर जिला को छोड़ दें तो बाकी जिलों की अधिकतर सीटों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। यही नहीं, कुछ सीटों पर टिकट भी अनुराग ठाकुर की पसंद से दिए गए थे। मगर वो अपने उम्मीदवारों को जिताने में असफल साबित हुए।
जिलावार बात की जाए तो हमीरपुर संसदीय सीट के कांगड़ा जिले में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र देहरा में अनुराग ठाकुर के हस्तक्षेप के बाद भाजपा के एसोसिएट विधायक होशियार सिंह ठाकुर का टिकट काटकर रमेश ध्वाला को दिया गया था। लेकिन वो नहीं जीत पाए। वहीं, जसवां परागपुर से पूर्व उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर जीतने में जरूर सफल रहे।
हमीरपुर जिला की पांचों सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीतने में असफल रहे हैं। बता दें कि इस जिला के भोरंज, सुजानपुर, बड़सर व नादौन से कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। वहीं, हमीरपुर सदर से तमाम कोशिशों के बाद भी भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र ठाकुर को हार का मुंह तो देखना ही पड़ा, बल्कि वह तीसरे स्थान पर खिसक गए। यहां से निर्दलीय आशीष शर्मा ने भारी मार्जिन से जीत दर्ज की।
उना जिला में भी कमावेश यही स्थिति है। चिंतपूर्णी, गगरेट, हरोली व कुटलैहड़ से भाजपा के उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा। मात्र ऊना सदर सीट पर कांटे के एक मुकाबले में भाजपा उम्मीदवार सतपाल सत्ती को कड़ी मशक्कत के बाद जीत मिली। मगर जीत का अंतराल बेहद कम रहा। यानि, ऊना जिला में भी एकमात्र सीट ही भाजपा जीत पाई। जहां कुटलैहड़ की सीट भाजपा पिछले 35 साल से जीतती आ रही थी, मगर इस बार कांग्रेस ने भाजपा के इस किले को भी ध्वस्त कर दिया।
बात करें बिलासपुर जिला की तो बिलासपुर में भाजपा तीन सीटें जीतने में जरूर सफल रही। मगर इसका क्रेडिट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जाता है। बिलासपुर सदर सीट पर जीत का अंतराल बेहद कम रहा। भाजपा ने झंडूता, बिलासपुर व नैना देवी बेहद कम मार्जिन से जीती हैं। वहीं, घुमारवीं से कांग्रेस उम्मीदवार जीतने में सफल रहा। 17 विधानसभा वाली संसदीय सीटों वाले हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के हिस्से मात्र 4 सीटें आई हैं, जबकि कांग्रेस 13 सीटों पर जीत कर उम्मीद के विपरीत परिणाम लेने में सफल रही।
हार के कारणों की जब भी समीक्षा होगी तो अनुराग ठाकुर की भूमिका को लेकर पार्टी मंथन जरूर करेगी। वहीं, कांग्रेस ने भी अनुराग ठाकुर की 2024 के चुनावों को लेकर अभी से घेराबंदी कर दी है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान इस दफा किसी भी सूरत में अनुराग ठाकुर को संसद नहीं पहुंचने देना चाहती। इसी के चलते हमीरपुर संसदीय सीट से सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की ताजपोशी कर अनुराग के खिलाफ फील्डिंग सजा दी गई है।
हिमाचल के राजनीतिक इतिहास में यह पहली दफा होगा कि हमीरपुर संसदीय सीट को दो पावरफुल पोस्टों से नवाजा गया है। इसका साफ अर्थ यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जहां अनुराग ठाकुर को अपनी पार्टी के अंतर विरोध का सामना करना पड़ेगा, वहीं कांग्रेस उन्हें हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाएगी। यानि, अनुराग ठाकुर को दो-दो मोर्चाे पर लड़ाई लड़नी होगी। अन्यथा इस दफा उनके लिए 2024 की डगर बेहद कठिन नजर आ रही है।