हमीरपुर (एमबीएम न्यूज) : हिमाचल प्रदेश के मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में पौष्टिक तत्वों से भरपूर काफल फल को पहचान नहीं मिल पाई है। आयरन विटामिन सी की प्रचुर मात्रा वाला यह फल स्थानीय बाजारों तक ही सीमित होकर रह गया है। प्रदेश सरकार इसके व्यवसायिक उत्पादन विपणन और जूस निकालने की तरफ कोई कारगर कदम नहीं उठा पाई है। जबकि स्थानीय बाजारों में काफल फल लोगों की पहली पंसद बन चुका है। हिमाचल के मंडी, कुल्लू, मनाली, हमीरपुर जिला के जाहू कस्बे सहित कुछ क्षेत्रों में ही काफल फल बिकता है।
हमीरपुर के कुछ कस्बों में आजकल काफल बेचने वालों को आम तौर पर देखा जा सकता है और लोग भी बड़े चाव से इसको खरीदते हुए नजर आते हैं। काफल के पेड़ काफी बड़े होते हैं। ये पेड़ ठंडी छायादार जगहों में होते हैं। हिमाचल से लेकर उतंराखंड के गढवाल, कुमाऊ व नेपाल में इसके वृक्ष बहुतायत से पाए जाते हैं। आयुर्वेद में इसे काफल के नाम से जाना जाता है। जबकि अंग्रेजी भाषा में बाक्समिर्टल के नाम से जाना जाता है। इसका खट्टा-मीठा स्वाद बहुत मनभावन और बहुत लाभकारी होता है। इसका पेड़ अनेक प्राकृतिक औषधीय गुणों से भरपूर है।
काफल फल के फायदे।
इसकी छाल में मायरीसीटीन एवं ग्लायकोसाईड पाया जाता है। मेघालय में इसे सोहफी के नाम से जाना जाता है और आदिवासी लोग पारंपरिक चिकित्सा में इसका प्रयोग वर्षों से करते आ रहे हैं। विभिन्न शोध इसके फलों में एंटी-आक्सीडेंट गुणों के होने की पुष्टी करते हैं। जिनसे शरीर में आक्सीडेटिव तनाव कम होता और दिल सहित कैंसर एवं स्ट्रोक के होने की संभावना कम हो जाती है। इसके फलों में पाए जाने वाले फायटोकेमिकल पोलीफेनोल सूजन कम करने सहित जीवाणु एवं विषाणुरोधी प्रभाव के लिए जाने जाते हैं।
गर्मीयों के मौसम का रामबाण है काफल फल।
गर्मियों के मौसम को चिलचिलाती धूप, पसीने और उमस के लिए जाना है। लेकिन प्रकृति ने हमें इनसे बचने के लिए आम, बेल, तरबूज एवं खरबूज जैसे विभिन्न फल भी दिए हैं। ठीक इसी प्रकार हिमालयी क्षेत्र में भी काफल नाम से जाना जाने वाला एक फल मिलता है। दातून बनाने से लेकर अन्य चिकित्सकीय कार्यों में इसकी छाल का उपयोग सदियों से होता रहा है। इसके अलावा इसके तेल व चूर्ण का भी अनेक औषधियों के रूप में उपयोग किया जाता रहा है।
क्या कहते है काफल विक्रता सुरेश कुमार?
काफल विक्रेता सुरेश कुमार और कमल राज का ने बताया कि प्रतिदिन काफल फल के दाम अलग.अलग होते है। उन्होंने बताया कि काफल फल बाजारों में 100 से 200 रुपए तक बिक रहा है। पेड़ से तोडने के करीब 24 घंटे के बाद फल खराब होने लग जाता है।
संघर्ष की लड़ाई लड़ रहा है काफल फल
हमीरपुर में पाया जाने बाला काफल फल आज तक केवल संर्घष की लड़ाई लड़ता रहा है जो पहचान इसे उत्तराखंड जैसे राज्य में मिली वैसी पहचान प्रदेश में मिलना नामुमकिन सा लगता है। हमीरपुर की सब्जी मंडियों तक यह फल पंहुच ही नहीं रहा । ज्यादा जल्दी खराब होने की वजह से व्यापारी भी इस फल को बेचना मुनासिब नहीं समझ रहे। अगर यही हालात रहे और प्रदेश सरकार उद्यान्न विभाग इस फल को वचाने की कोई मुहिम नहीं छेडते हैं तो यह फल शायद भविष्य के गर्भ से समाप्त न हो जाए।
इस बारे में हमीरपुर के सेवानिवृत आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. गौरी सागर का कहना है कि काफल फल सबसे ठंडा फल होता है। इसके सेवन से विभिन्न रोगों से छुटकारा मिलता है। यह पेट के रोगों के लिए काफी लाभदायक है।