कुल्लू (एमबीएम न्यूज़) : वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य व पर्यावरण को बनाए रखने के लि
ए राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) के वैज्ञानिकों और वन विभाग के अधिकारियों को शोध पर जोर देना चाहिए। शुक्रवार को मनाली के परिधि गृह में एनईईआरआई के वैज्ञानिकों और वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान वन मंत्री ने यह अपील की।
उन्होंने बताया कि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां अति संवेदनशील हैं, इसलिए यहां पर विकास कार्यों को वैज्ञानिक तरीके से करने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त प्रकृति और वन्य प्राणी को नुकसान पहुंचाए बगैर विकास कार्यों को पारंपरिक ढंग से करना होगा, ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे। वन मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण समूचे विश्व के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। पिछले कई दशकों से पहाड़ों पर बर्फ कम पड़ रही है, जोकि चिंता का विषय है। इससे पहाड़ों के अलावा मैदानी क्षेत्रों में भी पानी की किल्लत बढ़ रही है। इस गंभीर संकट से निपटने के लिए हमें वनों के संरक्षण और पौधारोपण पर जोर देना पड़ेगा।
वन मंत्री ने बताया कि इस सीजन में कुल्लू जिला में लगभग 375 हैक्टेयर भूमि पर पौधारोपण किया जाएगा। इनमें देवदार के अलावा चौड़ी पत्तियों वाले पौधे और औषधीय पौधे भी लगाए जाएंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे रोपण के बाद पौधों की सही देखभाल व सुरक्षा के लिए भी उचित व्यवस्था करें। तभी विभाग के पौधारोपण कार्यक्रम सफल साबित होंगे।
इस मौके पर वन अरण्यपाल बीएल नेगी, डीएफओ कुल्लू डा.नीरज चडढा, एनईईआरआई के वैज्ञानिक और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
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उन्होंने बताया कि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां अति संवेदनशील हैं, इसलिए यहां पर विकास कार्यों को वैज्ञानिक तरीके से करने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त प्रकृति और वन्य प्राणी को नुकसान पहुंचाए बगैर विकास कार्यों को पारंपरिक ढंग से करना होगा, ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे। वन मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण समूचे विश्व के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। पिछले कई दशकों से पहाड़ों पर बर्फ कम पड़ रही है, जोकि चिंता का विषय है। इससे पहाड़ों के अलावा मैदानी क्षेत्रों में भी पानी की किल्लत बढ़ रही है। इस गंभीर संकट से निपटने के लिए हमें वनों के संरक्षण और पौधारोपण पर जोर देना पड़ेगा।
वन मंत्री ने बताया कि इस सीजन में कुल्लू जिला में लगभग 375 हैक्टेयर भूमि पर पौधारोपण किया जाएगा। इनमें देवदार के अलावा चौड़ी पत्तियों वाले पौधे और औषधीय पौधे भी लगाए जाएंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे रोपण के बाद पौधों की सही देखभाल व सुरक्षा के लिए भी उचित व्यवस्था करें। तभी विभाग के पौधारोपण कार्यक्रम सफल साबित होंगे।
इस मौके पर वन अरण्यपाल बीएल नेगी, डीएफओ कुल्लू डा.नीरज चडढा, एनईईआरआई के वैज्ञानिक और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।