नाहन/ प्रकाश शर्मा : करीब-करीब 30 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब विधानसभा चुनाव में पेयजल समस्या का मुद्दा नदारद है। 1998 के बाद से हरेक विधानसभा चुनाव में शहर की पेयजल समस्या को लेकर राजनीतिज्ञों को आश्वासन देने पड़ते थे। करीब एक दशक में सिरमौर मुख्यालय का बड़े पैमाने पर विस्तारीकरण हुआ है।
शहर की आबादी के बराबर-बराबर पहाड़ों से लोगों का विस्थापन हुआ है, इस कारण 2010 के बाद समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक ददाहू पेयजल योजना से हर रोज 44 लाख लीटर पानी पहुंचता है, जबकि खैरी से 6 लाख लीटर पानी की सप्लाई है। रियासत काल में बनी नहरस्वार ग्रेविटी योजना को भी विभाग ने 2020 में रि डिजाइन कर लिया था। इसमें पाइपों को बदला गया।
करीब 56 करोड़ रुपए की लागत से बनी ददाहू पेयजल योजना हालांकि 2012 में मंजूर हो गई थी। लेकिन फोरेस्ट क्लीयरेंस की वजह से लटकती रही। मार्च 2019 में योजना के पहले चरण की टैस्टिंग कामयाब होने से शहरवासियों के चेहरे खिल उठे थे। उस समय लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता भी लागू थी। इस कारण भाजपा क्रेडिट नहीं ले पाई थी।
11 मार्च 2019 को टैस्टिंग की गई थी। एक दिन पहले ही आचार संहिता लागू हो गई थी। अगस्त 2019 के बाद ये योजना सुचारू रूप से कार्य करने लगी। मौजूदा में पेयजल संकट की समस्या आंशिक तौर पर उस समय ही पैदा होती है, जब योजनाओं में अलग-अलग कारणों से खराबी आ जाए या फिर ददाहू पेयजल योजना में बिजली की आपूर्ति बाधित हो।
दीगर है कि ददाहू से पानी पहले 6 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर धारटीधार के जैथल में पहुंचता है। इसके बाद 12 किलोमीटर तक उतराई व चढ़ाई का सफर कर नाहन पहुंचता है। सड़क से सोर्स तक की दूरी 42 किलोमीटर है।
उधर जल शक्ति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 24 घंटे के भीतर लगभग 60 लाख लीटर पानी पहुंचता है। इतनी ही क्षमता भंडारण की भी है। 50 से 60 लाख लीटर की डिमांड रहती है। उनका कहना था कि शहर के लिए तीनों ही योजनाएं सुचारू रूप से चल रही हैं।
अधिकारियों ने कहा कि नहरस्वार से मौजूदा में 10 लाख लीटर पानी मिलता है। इस योजना को 2020 में रि इंस्टॉल किया गया था।