कुल्लू (एमबीएम न्यूज़): पहाड़ी कोकिला कमला भारद्वाज की कोयल जैसी मधुर आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई है। कमला भारद्वाज का शुक्रवार को लंबी बीमारी के बाद अपने घर शांघड़ में निधन हो गया है। कमला भारद्वाज के निधन से पूरा प्रदेश गमगीन हो गया है। कमला भारद्वाज की मधुर आवाज बेशक इस समाज में हमेशा गुंजती रहेगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश ने लोक संस्कृति के एक ऐतिहासिक पन्ने को हमेशा के लिए खो दिया है।
कमला भारद्वाज सैंज घाटी के शांघड़ गांव से संबंध रखने वाली थी। वे यहां पर देवता शंगचूल महादेव के कारदार गिरधारी लाल भारद्वाज की पत्नी थी। कमला भारद्वाज ने ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से पहाड़ी संस्कृति को जीवित रखा था। गत वर्ष तक कमला भारद्वाज के गीत आकाशवाणी से गूंजते रहे हैं। कमला भारद्वाज जहां पारंपरिक गीतों को मधुर आवाज देती रही हैं, वहीं कुल्लवी व हिमाचली संस्कृति से ओत-प्रोत गीतों का निर्माण भी करती रही और उन्हें मधुर आवाज देती रही। इसलिए कमला भारद्वाज को पहाड़ी कोकिला का दर्जा प्राप्त हुआ था और वह मधुर आवाज के साथ-साथ हिमाचली संस्कृति को संजोए रखने में भी हमेशा तत्पर रहती थी। यही नहीं कमला भारद्वाज मधुर आवाज के साथ समाज में मिलनसार व्यक्तित्व की धनी थी। उनके निधन से प्रदेशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
ब्राह्मण जनकल्याण सभा ने जहां उनके निधन पर शोक सभा का आयोजन किया वहीं, ब्राह्मण जनकल्याण सभा के अध्यक्ष खेमराज शर्मा, संस्थापक मनमोहन गौतम, महासचिव दयानंद सारस्वत सहित पदाधिकारियों ने कहा है कि पहाड़ी कोकिला कमला भारद्वाज का निधन समाज के लिए क्षतिपूर्ण है और समाज ने एक मधुर आवाज के साथ-साथ संस्कृति के एक अध्याय को भी खोया है।
उधर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सहित आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह, पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर, विधायक महेश्वर सिंह, विधायक खूब राम आजाद, विधायक गोविंद सिंह ठाकुर, अपैक्स के चेयरमेन टैहल सिंह राणा, नगर परिषद अध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत, जिला परिषद अध्यक्ष रोहिणी चौधरी सहित बंजार के तमाम राजनीतिज्ञों व समाज सेवकों ने इस अपूर्णीय क्षति पर शोक प्रकट किया है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।