नाहन (एमबीएम न्यूज): पर्यावरणविद किंकरी देवी एक ऐसी शख्सियत थी, जिसका संघर्घ इतिहास में दर्ज है। यह अलग बात है कि अपने घर में वह अनदेखी का शिकार है। 30 दिसंबर 2007 को पर्यावरणविद किंकरी देवी ने संसार को अलविदा कह दिया। हैरान कर देने वाली बात है कि ऐसी शख्सियत के नाम पर सरकार संगड़ाह में चार बिस्वा भूमि उपलब्ध नहीं करवा पाई। ताकि एक स्मारक बन सके। अब इस मामले में सिरमौर हिल्ज अवेयर्ड रेजीडेंटस (सारा) ने भी दखल दी है। बकायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है।
क्या लिखा गया है पत्र में?
भारत सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2001 में पर्यावरणविद किंकरी देवी को स्त्री शक्ति (झांसी की रानी) पुरस्कार से सम्मानित किया था। मगर विडंबना है कि उनके पंचतत्व में विलीन होने के बाद आज तक दो लाख के बजट से संगडाह में स्मारक नहीं बन पाया है। स्थानीय प्रशासन इसकी वजह जमीन न उपलब्ध होना बता रहा है। मान्य प्रधानमंत्री जी संगड़ाह के मंडहोली व देवडाल में राजस्व विभाग व ग्राम पंचायत की अढ़ाई सौ बीघा भूमि है। इसमें से मात्र चार-पांच बिस्वा का इस्तेमाल पार्क के लिए हो सकता है।
महोदय इस कार्य के लिए अब कम से कम 5 लाख के बजट की जरूरत है। प्रधानमंत्री जी, किंकरी देवी ने 1982 से लेकर मरते दम तक प्रभावशाली खनन माफिया के खिलाफ लड़ाई लड़ी, ताकि पर्यावरण संरक्षित हो सके।
महोदय वर्ष 1999 में चीन के बीजिंग में पांचवे अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन का शुभारंभ भी किंकरी देवी ने किया था। अब आप इस मामले में उचित कार्रवाई के लिए हिमाचल के मुख्य सचिव को निर्देश दें।