शिमला, 10 अक्तूबर : इसमें कोई दो राय नहीं है, यंग विधायक विक्रमादित्य सिंह को माता-पिता से राजनीति विरासत में मिली है। पिता दिवंगत वीरभद्र सिंह ने 6 मर्तबा हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया, माता प्रतिभा सिंह इस समय सांसद होने के साथ -साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष भी है।
दरअसल, विक्रमादित्य सिंह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट लिखी कि हिमाचल कांग्रेस में वरिष्ठ व अनुभवी नेताओं की कमी नहीं है।इसके साथ मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी, प्रतिभा सिंह, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कौल सिंह ठाकुर व हर्षवर्धन चौहान की तस्वीरों को शेयर किया। साथ ही ये भी लिखा कि कांग्रेस की सरकार बनाना हम सबका लक्ष्य है। कोई भी प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकता है। हमारे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है। हिमाचलियत को जिंदा रखना जरूरी है।
विधायक की इस पोस्ट के मायने चाणक्य नीति से भी जोड़कर देखे जाने लगे हैं। इसमें 6 जिलों के नेताओं में से कोई भी सीएम होने के संकेत दिए गए हैं।पोस्ट से गुटबाजी को भी विराम लगाने का तीर भी लगाया गया है तो 6 जिलों के मतदाताओं को ये संदेश देने का प्रयास किया गया होगा कि आपके जिला से मुख्यमंत्री हो सकता है। ऐसे में अगर कांग्रेस ऊना, चंबा, शिमला, हमीरपुर, मंडी व सिरमौर में मजबूत होती है तो भाजपा के रिवाज बदलने के नारे को झुठलाया जा सकता है।
खास बात ये भी है कि इन 6 जिलों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला मंडी भी शामिल हैं।इन जिलों में 38 विधानसभा क्षेत्र हैं, ऐसे में ये जिले कांग्रेस को सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, विक्रमादित्य की पोस्ट में राज्य के सबसे बड़े जिला कांगड़ा से कोई चेहरा शामिल नहीं हुआ है। बेशक ही युवा विधायक ने इस पोस्ट के जरिए एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया होगा, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस पोस्ट के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
बता दें कि राज्य में राजपूत बिरादरी का नेता ही मुख्यमंत्री बनता है। दो मर्तबा ब्राह्मण बिरादरी से शांता कुमार मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। पहली सरकार 22 जून 1977 से 14 फरवरी 1980 तक रही। जबकि दूसरा कार्यकाल 5 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक का रहा। कांग्रेस के चेहरों में दो ब्राह्मण नेता भी हैं।