नाहन, 20 सितंबर : हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में धारटीधार क्षेत्र की दुर्गम पंचायत कुडला खरक के भनेत गांव में जन्में सोमदत्त शर्मा ने समूचे इलाके को गौरवान्वित किया है। 1987 में महज 21 साल की उम्र में एक्साइज इंस्पेक्टर(excise inspector) से कार्य शुरू करने वाला युवक आज विभाग में डिप्टी कमिश्नर (deputy commissioner) के पद पर प्रमोट हुआ है।
खास बात ये है कि पदोन्नति की सौगात बैकडेट 2019 से मिली है। बचपन से ही संघर्ष का सामना करने वाले सोमदत्त शर्मा भरोग बनेडी से पैदल ही गिरिनदी को पार कर ददाहू पहुंचा करते थे। इसके बाद नाहन काॅलेज का सफर बस में तय करते थे।
ज्ंगल का रास्ता पैदल तय करने के दौरान कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ता था, लेकिन उच्चशिक्षा प्राप्त करने की इस कद्र ललक थी कि वो काॅलेज तक पहुंचने के लिए घंटों का सफर तय करने में किन्तु-परंतु नहीं करते थे।
गौरतलब है कि आबकारी व कराधान विभाग (Excise & Taxation Department) के उप आयुक्त बने सोमदत्त शर्मा का गांव भनेत गिरिनदी के साथ लगता है। सोमदत्त शर्मा की शख्सियत इतनी साधारण है कि वो इलाके के लोगों के आमंत्रण पर घंटों का सफर तय कर कार्यक्रम में शामिल होने पहुंच जाते हैं।
प्रमोशन से पहले वो बैजनाथ में सहायक आयुक्त (Assistant Commissioner) के पद पर तैनात रहे। 1986 में नाहन काॅलेज से ग्रेजुएशन करते ही हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर एक्साइज इंस्पेक्टर बन गए। विभाग में कैरियर के दौरान इंस्पेक्टर यूनियन का बतौर अध्यक्ष कई सालों तक प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद भी सहायक आयुक्त के संघ की कमान भी संभाले रखी।
संभव है कि सोमदत्त शर्मा समूचे धारटीधार की पहली ही शख्सियत हैं, जो एक्साइज विभाग में इस मुकाम तक पहुंची हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि वो संस्कृति से जुड़े हुए व्यक्तित्व हैं। जरूरतमंदों की हर संभव मदद करते हैं।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सोमदत्त शर्मा ने कहा कि विभाग में करीब 35 साल का कैरियर हो गया है। सेवाओं के दौरान सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क (MBM News Network) के एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि 80 के दशक में दुर्गम इलाकों से उच्च शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंचना आसान नहीं होता था। पहले जंगल का रास्ता तय करना पड़ता था। इसके बाद उफनती गिरिनदी को पार करना पड़ता था। आखिर में 40 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद काॅलेज पहुंचते थे।
उन्होंने कहा कि शुभचिंतकों का ही आशीष है कि वो इस मुकाम तक पहुंचे हैं।