राजेश जसवाल – दुर्गा स्वयं सहायता समूह घुटनपूुर, ग्राम पंचायत पातलियों विकास खंड पांवटा साहिब की दस महिलाओं ने वर्ष 2001 में मिलकर यह समूह बनाया तथा प्रतिमाह एक सौ रुपये की दर से समूह की प्रत्येक सदस्य ने बचत शुरु की। इन्होने राज्य सहकारी बैंक की शाखा पांवटा साहिब में खाता खोला तथा अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए समय-2 पर ऋण प्राप्त किया। पहले 10 हजार, फिर 15 हजार, उसके बाद 20 हजार तथा 50 हजार रुपये जबकि वर्तमान में डेढ़ लाख रुपये का ऋ़ण शामिल है। इन्होने समय-2 पर लिए गए इस ऋण से समूह की प्रत्येक सदस्य ने गाय खरीदी। आज जहां यह महिलाएं पारंपरिक खेतीबाडी के साथ-2 दूध, घी, पनीर इत्यादि बेचकर अपनी आमदनी को बढा रही है तो वहीं खाली वक्त में समाज की अन्य महिलाओं व जरुरत मंदों की सहायता भी करती हैं। इसी तरह गांव बांगरन ग्राम पंचायत फूलपुर की महिलाओं ने भी वर्ष 2009 में लक्ष्मी तथा 2010 में भूमि स्वयं सहायता समूहों का गठन किया। जहां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की 7 महिलाओं व भूमि समूह की 9 महिलाओं ने राज्य सहकारी बैंक की शाखा पुरुवाला में अपना खाता खोला तो वहीं सौ रुपये प्रति सदस्य के हिसाब से बचत भी शुरु की। आज इन दोनों ही समूहों की महिलाओं ने अपनी आर्थिकी को मजबूत करने के लिए बैंक से क्रमशः 1,40,000 रुपये व 80,000 रुपये का ऋण लिया है, जिससे इन समूहों की महिलाओं ने जहां कुछ ने गाय, भैंस खरीदी तो कुछ अन्य ने सब्जी, किराना इत्यादि की दुकान चलाई। इस संबंध में समूह की महिलाओं का कहना है कि समूह में जुडने से पहले उनकी जीविका केवल दिहाडी मजदूरी तथा खेतीबाडी पर ही चलती थी, परन्तु आज वह दूध, घी, पनीर इत्यादि बेचकर अपनी आमदनी को भी बढ़ा रही है बल्कि आवश्यकता पडने पर केवल दो प्रतिशत ब्याज पर एक दूसरे को ऋण भी देती हैं। जिससे न केवल समूह की सदस्यों में आर्थिक सुरक्षा बढी है बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढावा मिला है। इस तरह स्वयं सहायता समूह बनाकर आज महिलाएं आर्थिक व सामाजिक तौर पर सशक्त हो रही हैं। ऐसे में यदि जिला सिरमौर की ही बात करें तो जिला के समस्त सामुदायिक विकास खण्ड़ों के अर्न्तगत छः बाल विकास परियोजनाओं के तहत 1462 आंगनबाड़ी व 23 मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों (जिसमें शिलाई-216, पांवटा-430, राजगढ़-187, पच्छाद-159, संगड़ाह-236 व नाहन-234 शामिल हैं) संचालित है। इन आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से जिला सिरमौर में फरवरी, 2013 तक कुल 3234 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है तथा इनकी कुल बचत 9,46,97,445 रुपये है, जबकि 1913 स्वयं सहायता समूहों को बैंकों से जोड़ा जा चुका है तथा कुल 18,79,42,885 रुपये का ऋण खड़ड़ी, सिलाई, कढ़ाई, पशुपालन, कृषि, उद्यान से संबंधित निजी जरुरतों के लिए लिया है। यदि खण्ड़ स्तर पर देखा जाए तो शिलाई खण्ड़ में कुल 397 समूह गठित हैं तथा इनकी कुल बचत 22,88,240 रुपये है, जबकि 111 समूहों को बैंकों से जोड़ा गया है जिन्होने कुल 54,75,000 रुपये बतौर ऋण बैंकों से लिया है। पांवटा विकास खण्ड़ में कुल 1224 समूह गठित किये गये हैं, जिनकी कुल बचत 7,52,53,938 रुपये है जबकि 824 समूहों को बैंकों से जोड़कर 9,93,13,800 ऋण लिया है। इसी तरह राजगढ़ विकास खण्ड़ के 375 समूहों की कुल बचत 8,21,484 रुपये तथा बैंकों से जोड़े गए 310 समूहों का ऋण 1,31,00,000 रुपये है। पच्छाद विकास खण्ड़ में भी कुल 257 समूह गठित हैं, जिनकी बचत 36,23,613 रुपये तथा बैंकों से जोड़े गए 190 समूहों ने कुल 1,13,90,550 रुपये बतौर ऋण लिया है। यही नहीं जहां संगड़ाह खण्ड़ में 499 समूहों ने 49,57,121 रुपये बतौर बचत इक्टठे किये हैं तो वहीं बैंकों से जोड़े गए 185 समूहों ने बतौर बचत कुल 31,54,612 रुपये का ऋण प्राप्त किया है, जबकि नाहन विकास खण्ड़ में 482 स्वयं सहायता समूहों के पास बचत 77,53,049 रुपये है तथा बैंकों से जोड़े गए 293 समूहों ने 5,55,08,923 रुपये बतौर ऋण लिये हैं। इस तरह जिला सिरमौर में स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं न केवल आर्थिक व सामाजिक तौर पर आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बन रही है, बल्कि इस मंहगाई के दौर में अपने परिवार के भरण-पोषण में भी कामयाब हो रही है।
Members of Laxmi Self Help Group Bangran Paonta Sahib