सुंदरनगर, 04 सितंबर : सरकारों द्वारा संस्कृत का सम्मान नहीं किया जा सका है। प्रदेश में संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के लिए मजबूती से कार्य हो रहा है। इसको लेकर प्रदेश में संस्कृत महाविद्यालय और पदों को सृजित किया गया है।
ये बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को सुंदरनगर के जवाहर पार्क में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित प्रदेशस्तरीय संस्कृत उत्कर्ष महोत्सव के दौरान प्रदेश के संस्कृत अध्यापकों और प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा अन्य कई भाषाओं का मूल स्रोत है लेकिन इसका मूल भाव हमसे छूटता जा रहा है। हिंदी के बाद प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने को लेकर कार्य किया जाएगा। संस्कृत भाषा को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा अपना लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हमारे संस्कारों में निहित चीजों को ही हम छोड़ कर बैठ गए हैं। हम जितने भी आगे बढ़ जाएं लेकिन अपने संस्कार, मूल और संस्कृति को छोड़कर हम लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश में शुरुआत कर दी गई है। प्रदेश में संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के लिए कोई कठिनाई नहीं है और प्रदेश में सरकार द्वारा अनुकूल परिस्थितियों के साथ आगे बढ़ा जा रहा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषा को सम्मान, उत्थान और पहचान फिर से देने को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा प्रयास किया गया है। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सरकार कार्य करते हुए संस्कृत भाषा को प्रदेश दूसरी राज्य भाषा का दर्जा दिया गया है।