नाहन, 11 जुलाई : गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र घोषित न करने को लेकर सिरमौर मुख्यालय में विशाल रैली का आयोजन किया गया।
सोमवार को गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति, दलित शोषण मुक्ति मंच, भीम आर्मी, अखिल भारतीय कोली समाज, बाल्मीकि सभा, विश्वकर्मा सभा, युवा कोली समाज ने नाहन में एक विशाल रैली का आयोजन किया। सभी लोगों ने सर्वप्रथम अंबेडकर की प्रतिमा को श्रद्धांजलि अर्पित की और संविधान की रक्षा की शपथ ली।
उसके पश्चात सभी संगठनों के लोग गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार सरंक्षण समिति के अध्यक्ष अनिल मंगेट दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार, भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष विपिन कुमार, महासचिव सुंदर सिंह की अध्यक्षता में नाहन बाज़ार से होते हुए हजारों की संख्या में जिलाधीश कार्यालय पहुंचे।
प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त सिरमौर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में “हाटी” जनजातीय क्षेत्र घोषित होने से इस क्षेत्र मे रहने वाले 40% अनुसूचित जनजाति वर्ग के ऊपर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से अवगत करवाया।
अनिल मंगेट, आशीष कुमार व विपिन कुमार ने अपने संयुक्त संबोधन में कहा कि Registrar General of India 2017 की रिपोर्ट में RGI ने अपनी रिपोर्ट मे यह स्पष्ट कहा है कि “हाटी” कोई जनजाति नही है तथा इसे संविधान के अधिनियम 342 (2) के अन्तर्गत संवैधानिक दर्जा नही दिया जा सकता है।
RGI ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि “हाटी ” समुदाय कोई एक सामाजिक इकाई नहीं है। गिरीपार क्षेत्र की अनुसूचित जातियां न की कोई जनजाति, सामाजिक-आर्थिक व शैक्षणिक रूप पिछड़ी है, क्योंकि परंपरागत रूप से इन्ही निचली जातियों (कोली, ढाकी, डूम, चनाल, बाढी, लोहार आदि) के साथ छुआछूत किया जाता रहा है।
वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि “हाटी”जनजाति घोषित करने से गिरीपार क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम ,1989 के निष्क्रिय होने के खतरे के बारे में आगाह किया, जिस कारण क्षेत्र में उत्पीड़न की घटनाएं और अधिक बढ़ जाने की संभावना है। उन्होंने वर्ष 2015 से 2022 तक जिला सिरमौर में एट्रोसिटी एक्ट के मामलों की रिपोर्ट के बारे में भी बताया कि अब तक जिला सिरमौर में कुल 122 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमे से हत्या व बलात्कार के जघन्य मामलों सहित कुल 106 मामले इसी गिरीपार क्षेत्र के हैं।
सभी संगठनों ने शंका जाहिर करते हुए इस बात का खतरा जताया कि यदि गिरीपार की तमाम जातियों को “हाटी” जनजाति घोषित करके एक ही छतरी के नीचे लाया गया तो अनुसूचित जाति एवं ओबीसी वर्ग को पंचायती राज संस्थाओं में प्राप्त संवैधानिक आरक्षण समाप्त हो जाएगा। जिसका उदाहरण किन्नौर जिला में 2020 के पंचायती राज चुनावों में उपायुक्त किन्नौर द्वारा जारी पंचायत रोस्टर को पेश कर दिया था। जिसमे जिला किन्नौर की समस्त 73 पंचायतों में प्रधान पद केवल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
दलित शोषण मुक्ति मंच ने केन्द्र सरकार से मांग रखी की गिरीपार की 40% अनुसूचित जाति के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की जाए व जल्दबाजी में जनजातीय क्षेत्र घोषित कर अनुसूचित जाति वर्ग के कत्लेआम का लाइसेंस न दिया जाए।सभी संगठनों ने RGI की सर्वे रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए। सभी संगठनों ने एक सुर में कहा कि 40 प्रतिशत आबादी को इस सर्वे में शामिल नहीं किया गया है।
सभी संगठनों ने मांग की है कि इस तरह की एक तरफा कार्रवाई जो राजनीतिक हित साधने के लिए की जा रही है वे बर्दाश्त नहीं होगी। दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक ने कहा कि आज सभी क्षेत्र के विधायकों को बुलाया गया था। परन्तु किसी भी विधायक ने अनुसूचित जाति वर्ग के समर्थन में न आ कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है।
आशीष कुमार ने सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा की अब 154 पंचायतों के लोगों को निर्धारित करना है कि जो विधायक आपके साथ नहीं है, जब वो वोट मांगने आये तो आप खुद ही समझदार है कि क्या करना है।
रैली को गिरिपार संरक्षण समिति के महासचिव सुंदर सिंह, संगड़ाह के अध्यक्ष विनोद तोमर , सतपाल मान, परसराम, नैन सिंह, अमिता चौहान, रघुवीर, युवा कोली समाज के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह, भीम आर्मी के मोहन सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को इस मामले की गंभीरता को देखे और कोई ऐसा काम न करे जिससे अनुसूचित जाति वर्ग को सरंक्षण और प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले अधिकार खत्म न हो ।