शिमला (एमबीएम न्यूज़): प्रदेश के जनजातीय जिले व शीत मरूस्थल के नाम से मशहूर लाहौल-स्पीति में सोलर पार्क बनाने की राज्य सरकार की कवायद को झटका लगा है। केंद्र द्वारा करवाए सर्वे में इसे फिजीबल नहीं पाया गया है, क्योंकि यहां के लिए ट्रांसमिशन लाईन नहीं है। इसके अलावा प्रदेश के 35 जनगणना गांव में बिजली नहीं है। इन राज्यों को इस साल के अंत तक बिजली से जोडने का लक्ष्य रखा गया है। इन गांव में अधिकांश माईग्रेटिड लोग रहते हैं।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण नई दिल्ली के अध्यक्ष एसडी दूबे ने शिमला में कहा कि लाहौल स्पिति में एक हजार मेगावाट का प्रस्तावित सोलर पार्क के लिए ट्रांसमिशन लाईन फिजीबल नहीं है। जब तक बीच में प्रोजैक्ट विकसित नहीं होते हैं, तब तक यहां के लिए ट्रांसमिशन लाईन नहीं बिछाई जा सकती है। इसलिए केंद्र ने इसे अभी फिलहाल होल्ड पर रखा है।
उन्होंने कहा कि देश में 90 प्रतिशत बारिश का पानी मानसून के 90 दिन में बरसता है। शेष 10 प्रतिशत बारिश साल के अन्य दिनों में बरसती है। इसलिए देश में बिजली व पानी के साथ-साथ बाढ़ की समस्या स्टोररेज डेमों से दूर हो सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार ने स्टोरेज प्रोजैक्ट चिन्हित किए हैं। नार्थ ईस्ट राज्यों में ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ से प्रतिवर्ष भारी तबाही होती है। इसलिए ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर के हिस्से सियांग नदी पर स्टोरेज बांध बनाने का प्रस्ताव है। इस बांध की क्षमता 9 बिलियन क्यूबिक मीटर भंडारण की क्षमता होगी। इससे क्षेत्र में बाढ़ का खतरा कम होगा। उन्होंने कहा कि सतलुज नदी पर व खाब में भी स्टोरेज बांध बनाने की योजना थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।