नाहन, 24 जून : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय नाहन सेवा केंद्र पर ‘ज्ञान और शक्तियों की चैतन्य अवतार मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती’ जी का 57वां पुण्य स्मृति दिवस ‘आध्यात्मिक ज्ञान दिवस ‘के रूप में मनाया गया।
इस दौरान मातेश्वरी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बी.के रमा दीदी ने बताया कि उनका जन्म सन् 1919 को अमृतसर में एक सामान्य परिवार में हुआ। आध्यात्मिक पुरुषार्थ और साधना के लिए त्याग, तपस्या और आत्म अनुभूति के द्वारा समस्त मानव के जीवन को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने का मार्ग चुना और पुरुष प्रधान समाज में सन् 1936 में अपना जीवन ईश्वरीय सेवाओं में समर्पित किया।
ज्ञान योग की श्रेष्ठ धारणा करने के कारण उनको ‘मम्मा’ और ‘यज्ञ माता’ के नाम से संबोधित किया गया, जिससे उनके व्यक्तित्व में दिव्य महा परिवर्तन हुआ।
मातेश्वरी जगदम्बा ने सदा निराकार ज्योतिर् बिंदु स्वरुप परमात्मा शिव द्वारा अपने साकार मानवीय माध्यम पिताश्री के माध्यम से दिए गए ‘श्रीमत’ का तत्क्षण पालन किया। मातेश्वरी द्वारा सिखाये गए कर्म-साधना के पथ पर चलते हुए राजयोग की साधना द्वारा रुद्र यज्ञ रक्षक, आज्ञाकारी और निरहंकारी बन मानवता की सेवा करते रहे हमारी यही सच्ची श्रद्धांजलि है।
इस अवसर पर भ्राता के.के शर्मा (Deen,YS Parmar Medical college Nahan) और भ्राता प्रदीप कुमार (SDO ददाहू IPH) ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। उन्होंने ने भी मम्मा की विशेषताएं सुनाई कि मम्मा ने सदा शिव बाबा की आज्ञा पर चल कर स्वयं को महान बनाया और निर्डरता को धारण कर ज्ञान योग के द्वारा समस्त मानव की रूहानी सेवा की।
बीके शिवानी बहन, Bk प्रियंका बहन ने भी मम्मा के जीवन से जो प्रेरणाएँ ली, उसका अनुभव सबसे साझा किया।
बीके दीपशिखा बहन ने मातेश्वरी के शक्ति स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि मात्र 14 वर्ष की आयु में मम्मा ने अपना जीवन ईश्वरीय सेवाओं में समर्पित किया, उनकी निर्भयता, वात्सल्य, मातृत्व, त्याग, तपस्या और समर्पण के कारण उनका दिव्य स्वरूप को जो भी देखता देवी स्वरूप ही दिखाई देता और माँ कहकर ही पुकारता।
उन्होंने कहा कि मम्मा के जीवन की दिव्यता से प्रेरणा लेकर हम सभी भी अपनी जीवन को श्रेष्ठ बनाये।इस अवसर पर अनीता टांक,चेतन भाई ,संतोष शर्मा, यादविंदर भाई, अरुण, अनीता नेगी, सहित सभी भाई बहनों ने शामिल होकर मातेश्वरी जगदम्बा जी को पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी।