शिमला, 20 मई : हिमाचल प्रदेश SFI की राज्य कमेटी ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के मुख्यालय शिमला में विरोध प्रदर्शन किया l इस दौरान एक प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिव अमित ठाकुर के नेतृत्व में लोक सेवा आयोग के सचिव से भी मिला। इस दौरान कॉलेज कैडर की भर्तियों में पारदर्शिता सुनिश्ति करने के लिए मांग पत्र सौंपा गया। राज्य सचिव ने कहा कि सरकार ने चुनावी वर्ष को मद्देनजर हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) ने 548 असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) के पदों का विज्ञापन निकाला है, लेकिन इसके लिए सही प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में इस समय हज़ारों पद खाली चल रहें हैl 2017 के बाद से सरकारी कॉलेजों में एक भी पद नहीं भरा गयाl आरोप है कि सरकार ने जानबूझ कर इन भर्तियों को पहले नहीं निकाला ताकि चुनाव के समय फायदा लिया जा सके। SFI ने कहा कि ये भर्तियां इसलिए शक के दायरे में है क्योंकि लोक सेवा आयोग जो चयन प्रक्रिया अपनाने जा रहा है, वो गैर पारदर्शी है। इसमें बेरोजगार युवाओं से धोखा होगा। प्रक्रिया में अंतिम चयन पूरी तरह से एक उम्मीदवार के साक्षात्कार पर निर्भर करेगा। विषय योग्यता परीक्षा / लिखित परीक्षा के अंकों का कोई महत्व नहीं दिया जायेगा। ‘
कॉलेज कैडर की जो लिखित परीक्षा होनी है, वो भी 100 नंबर की होगी, जिसमें सब्जेक्ट के 70 प्रश्न, हिंदी के 7, इंग्लिश के 7 नंबर, हिमाचल प्रदेश जीके के 8 अंक निर्धारित हुए है। नेशनल और इंटरनेशनल के समान्य ज्ञान के 8 तय किये गए है l उसके बाद इंटरव्यू के लिए 1/3 अभ्यार्थी लिए जायँगे, जिनका 100 नंबर का इंटरव्यू होगा l केवल इंटरव्यू के आधर पर चयन होगा, लिखित परीक्षा के नंबर नहीं जोड़े जायँगे l लिहाजा इंटरव्यू पैनल पर ही अंतिम नतीजा निर्भर करेगा, जो सिफारिश सिस्टम से प्रभावित होगा। एसएफआई राज्य कमेटी और भारत की नौजवान सभा ने कहा कि लोक सेवा आयोग द्वारा ही इस भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन हम नहीं जानते कि लोक सेवा आयोग को पारदर्शिता की दिशा में सुधार करने से किसने रोका।
20 मई 2020 को आयोग द्वारा एक निर्णय लिया गया था, जिसमे अंतिम चयन में लिखित परीक्षा के अंक 65% कर दिए गये थे, साक्षात्कार के अंको को 100 से घटाकर 35 कर दिया गया था। इसे 65:35 सूत्र कहा जाता था और उम्मीदवारों द्वारा इसका स्वागत किया गया था। लेकिन 2 सितंबर 2020 को इस व्यवस्था को वापस ले लिया गया और साक्षात्कार के आधार पर उम्मीदवारों के चयन की पुरानी प्रणाली को बहाल कर दिया गया। इस प्रकार उम्मीदवारों के विश्वास को झटका लगा है। ‘
एसएफआई ने यह भी कहा कि जब सहायक प्रोफेसर (कालेज संवर्ग) के मामले में भर्ती की प्रक्रिया की तुलना अन्य कलास 1 राजपत्रित पदों से करते हैं तो यह और अधिक संदेह पैदा करता है। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के मामले में लिखित अंक अंतिम चयन का 87 प्रतिशत और अंतिम चयन में व्यक्तिगत साक्षात्कार का हिस्सा 13% है। हिमाचल प्रदेश वन सेवा है, जहां लिखित स्कोर अंतिम चयन का 83 फीसदी है और साक्षात्कार 17 फीसदी है, लेकिन कॉलेज कैडर में इस तरह की अपारदर्शिता क्यों जा रही है l
एसएफआई ने कहा कि जहां एक तरफ राज्य सरकार ने तृतीय श्रेणी के पदों से साक्षात्कार समाप्त कर दिए हैं, वहीं दूसरी ओर कॉलेज कैडर के चयन की पूरी प्रक्रिया साक्षात्कार पर ही निर्भर रहती है। एसएफआई की राज्य कमेटी और नौजवान सभा ने कहा कि हरियाणा में कॉलेज कैडर की भर्ती में 50 अंक लिखित परीक्षा के जुड़ते हैं, 37.5 शैक्षणिक योग्यता/ व्यक्तिगत उपलब्धि के होते है, केवल 12.5 नंबर का इंटरव्यू के होते है l संगठन ने गैर पारदर्शी प्रकिया को लेकर पब्लिक सर्विस कमीशन को 5 दिन का वक़्त दिया हें।
एसएफआई ने साफ किया कि प्रदर्शन से एक बात साफ करना चाहते हैं कि हम भर्तियों को कोर्ट से रोकना बिल्कुल भी नहीं चाहते है, लेकिन अगर सरकार पढ़े लिखें बेरोजगारों के साथ धोखा किया गया, लिखित परीक्षा के नंबर नहीं जोड़े जाते तो कोर्ट जाने की तैयारियां पूरी हो चुकी है l