शिमला, 28 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में चुनावी वर्ष में नीति बनाने का इंतजार कर रहे हजारों आउटसोर्स (OutSource) कर्मचारियों (Employees) को फ़िलहाल प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने का मुद्दा एक महीने के लिए फिर लटक गया है।
जानकारी अनुसार अधिकारियों ने कैबिनेट सब कमेटी (Cabinet Sub Committe) को डाइंग काॅडर की गलत रिपोर्ट (Wrong Report) सौंपी है, जिसके चलते बात आगे नहीं बढ़ सकी है। विभागों में घोषित डाइंग काडर को लेकर पुख्ता रिपोर्ट न आने की वजह से अब सरकार को इनके लिए नीति बनाने में और वक्त लगेगा।
मिली जानकारी के अनुसार कई विभागाध्यक्षों ने किसी भी तरह की जानकारी अब तक कमेटी को नहीं दी है। अधिकारियों की सुस्ती और काम के प्रति गंभीरता न दिखाने के चलते आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति (Policy) बनाए जाने का मामला लंबा खिंचता जा रहा है। प्रदेश में करीब 30 हजार कर्मचारी विभिन्न विभागों, बोर्डों व निगमों में आउटसोर्स पर कार्यरत हैं। एजेंसियों के माध्यम से भर्ती इन कर्मचारियों को वेतन सरकारी खजाने से मिलता है।
वेतन विसंगतियों (Pay discrepancies) के साथ साथ कर्मचारियों के ईपीएफ व समय पर वेतन न मिलने की भी शिकायतें सरकार तक पहुंची हैं।
सरकार के मुद्दे के समाधान को लेकर जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर (Minister Mahender Singh Thakur) की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति(Cabinet Sub Committee) का गठन किया है। बीते दिनों आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में जल शक्ति मंत्री ने नीति बनाने से पहले इनसे लिखित तौर पर सुझाव देने को कहा था। सुझाव 10 अप्रैल तक मांगे गए थे। इसके बाद जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में आउटसोर्स के विभिन्न विभागों में घोषित डाइंग कैडर (dyeing cadre) के पदों पर समायोजित करने का फैसला लिया गया।
जल शक्ति, लोक निर्माण , शिक्षा विभाग व बिजली बोर्ड में हजारों पद डाइंग कैडर के घोषित हैं। बीते दिनों हुई बैठक(Meeting) के बाद मंत्रिमंडलीय उप समिति के अध्यक्ष जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने अधिकारियों से विभिन्न विभागों में डाइंग कैडर के पदों को लेकर पुख्ता ब्योरा तलब किया था।