मंडी, 21 फरवरी : हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण द्वारा मुख्यता फोरलेन व रेलवे लाइन हेतु भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है लेकिन इसमें भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून (पुनर्स्थापना, पुनर्वास व चार गुना मुआवजा) को हिमाचल सरकार लागु नहीं कर रही है। जिससे हिमाचल प्रदेश के करीब 49 विधानसभा क्षेत्रों के प्रभावितों में भारी रोष है। विरोध स्वरूप अब भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच ने प्रदेश सरकार से आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है।
सोमवार को मंडी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के पदाधिकारियों ने यह जानकारी दी। मंच के प्रदेश अध्यक्ष बी आर कौंडल ने बताया कि प्रदेश सरकार लगातार प्रभावितों के साथ छल कर रही है और अभी तक सरकार प्रभावितों को राहत देने के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा पाई है। जिससे खफा हो कर अब मंच ने प्रदेश सरकार को 28 फरवरी तक का फाइनल अल्टीमेटम दिया है। जिसके बाद मंच प्रदेश भर के प्रभावितों को लामबंद कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगा।
भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के अध्यक्ष बी आर कौंडल ने कहा कि प्रभावित किसानों का प्रतिनिधिमंडल 14 दिसम्बर को धर्मशाला में आयोजित रैली के उपरांत विधानसभा के अन्दर राजस्व मंत्री से अपनी मांगों को लेकर मिला, जिसमे भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागु करवाने, चार गुना मुआबजा, 1 अप्रैल 2015 की अधिसुचना को निरस्त करने व पुनर्वास व पुनर्स्थापना के मुद्दे पर 30 जनबरी तक जिला सत्रीय बैठकें करने का वायदा दिया गया था, लेकिन अभी तक कोई बैठक नहीं की गई है।
कौंडल ने कहा कि सरकार इस विषय पर गंभीर नहीं है तो उसे आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वहीं इस मौके पर मंच के संयोजक जोगिंद्र गुलेरिया ने कहा कि मंच ने तया किया है कि आने वाले समय में प्रभावितों की समस्या के निदान के लिए बनाई गई कैबिनेट स्तर की कमेटी के सदस्यों का उनके विधानसभा क्षेत्रों में जाकर घेराव किया जाएगा। इसके साथ ही अगर जरूरत पड़ी तो मंच मंडी में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सीएम को काले झंडे दिखाकर अपना रोष जाहिर करेंगे और इस दौरान सेरी मंच पर धरने पर बैठेंगे।
इस मौके पर मंच के सह संयोजक नरेश कुकू, प्रशांत मोहन, यशवंत गुलेरिया, हरी सिंह सैनी, योगेश कुमार व राज कुमार वर्मा भी मौजूद रहे।