सोलन (एमबीएम न्यूज) : हिमाचल प्रदेश का जिला सोलन भले ही विकास की दृष्टि से तेजी से आगे बढ़ रहा है,लेकिन जिला में आज भी ऐसे कई दुर्गम क्षेत्र हैं जो आजादी के 68 साल बीत जाने के बावजूद भी भाग्य रेखाओं से नहीं जुड़ पाए हैं। अर्की उपमंडल की ग्राम पंचायत दाड़लाघाट के गांव डवारू निवासी एक बीमार महिला की गत दिनों अस्पताल ले जाते वक्त पालकी में ही मौत हो गई है। डवारू सहित निकटवर्ती अन्य कई गांव में अब तक करीब पांच ऐसी ही दर्दनाक मौतें हो चुकी है।
दशकों से उक्त पांचों ही गांव के सैंकड़ों लोग काले पानी की सजा काट रहे हैं। इन गांव में जब भी कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए पहले चार कंधों की तलाश की जाती है। इसके बाद बीमार व्यक्ति को कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करके अस्पताल पहुंचाया जाता है। दाड़लाघाट पंचायत के डवारू, ककेड़, सनैली, सकोटी व बुड़म ऐसे दुर्गम गांव हैं जोकि वर्षों से गांव में सडक़ के पहुंचने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सडक़ सुविधा के अभाव में अस्पताल ले जाते वक्त पालकी में सवार अब तक कई अनमोल जिंदगियां रास्ते में ही दम तोड़ चुकी है। हाल ही में डवारू गांव निवासी 75 वर्षीय मथरू देवी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। मथरू देवी को पेट में दर्द होने के साथ-साथ उल्टियां आ रही थी। मथरू देवी की हालत को बिगड़ता देख उसके बेटे अनंत राम ने गांव के लोगों को एकत्रित किया और अपनी मां को अस्पताल पहुंचाने के लिए निकटवर्ती गांव शिवनगर से पालकी की व्यवस्था की।
अनंत राम ने जैसे-तैसे मां को अस्पताल पहुंचाने के लिए चार कंधो की व्यवस्था की। यह लोग मथरू देवी को पालकी में बिठाकर थोड़ी दूर ही पहुंचे थे कि उसकी तबीयत और अधिक बिगड़ गई और मथरू देवी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। अनंत राम ने दूरभाष पर बताया कि राज्य में काबिज होती रही सरकारों ने इस क्षेत्र की अनदेखी की है। सडक़ के अभाव में आज तक कई अनमोल जिंदगियां असमय ही काल के मुंह में चली गई है। क्षेत्र की वर्षों से हो रही अनदेखी को लेकर ग्रामीणों में सरकारी तंत्र और प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ रोष व्याप्त है।
मृतका के बेटे अनंत राम ने रूंधे गले से बताया कि उनके पिता भुंगर राम की मृत्यु भी वर्ष 2001 में अस्पताल पहुंचने से पहले आधे रास्ते में ही हो गई थी। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। इसके अलावा शिवनगर निवासी रामरत्न व नानकचंद की भी समय पर उपचार न मिलने की वजह से रास्ते में ही मौत हो गई थी। गांव में सडक़ न पहुंचने की वजह से ग्रामीणों को रोजमर्रा के कामों के लिए कई किलोमीटर का सफर खड़ी चढ़ाई चढकऱ पार करना पड़ता है।
बीमार व्यक्ति को पालकी व डंडों के सहारे सडक़ तक पहुंचाना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं की प्रसूति के दौरान खतरा अधिक बढ़ जाता है। अनंत राम ने बताया कि गर्भवती महिलाओं की प्रसूति करवाने के लिए उन्हें करीब एक माह पूर्व गांव छोडऩा पड़ता है। शहर में किराए के मकान व किसी रिश्तेदार के पास रूक कर प्रसूति करवानी पड़ती है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
ब्लॉक कांग्रेस अर्की के मीडिया प्रभारी अनिल गुप्ता, कांग्रेस सेवादल के राज्य संगठन मंत्री सुरेंद्र वर्मा,प्रेमलाल, कृष्णचंद, ओम प्रकाश, भगत राम, दिलाराम, संतराम, रमेश गौत्तम व देवी सिंह आदि ने बताया कि लंबे अरसे से गांव के लिए सडक़ की मांग की जा रही है, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सडक़ सुविधा न होने के कारण कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ रही है। किसी के बीमार पडऩे स्थिति में तो लोगों की जान पर बंध आती है। छोटे-छोटे बच्चे रोजाना कई किलोमीटर का पैदल सफर करते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द इन गांव को सडक़ सुविधा से जोड़ा जाए।