शिमला, 19 जनवरी : हिमाचल प्रदेश में पुलिस कर्मियों में वेतन विसंगतियों को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है। अगर सरकार खुफिया नेटवर्क से फीडबैक ले तो इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि राज्य की खाकी बगावती तेवर में है। साफ चेतावनी है कि अगर सरकार इस भम्र में है कि इस बार जवान मैस दोबारा शुरू कर देंगे तो ऐसा होने की उम्मीद कम है।
दरअसल, अरसे से तूल पकड़ रहे इस मामले में असंतोष की एक बड़ी वजह ये है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा खाकी को सही तरीके से जवाब नहीं मिल रहा। बार-बार एग्जामिन की बात कर मामला टरक रहा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिले मैसेज के मुताबिक पुलिस कर्मियों ने चेतावनी दी है कि इस बार मैस तभी खोला जाएगा, जब पुलिस कर्मियों के प्रोविजनल पीरियड को 8 साल से घटाकर दो साल करने की अधिसूचना जारी की जाएगी।
पुलिस कर्मियों ने अंदरखाते एक बड़ा सवाल ये भी उठाया है कि चंबा, लाहौल व किन्नौर जैसे दुर्गम इलाकों में कार्य करने वाले हरेक विभाग के कर्मी को हाई एल्टीटयूड एलाउंस मिलता है, लेकिन यहां भी कठिन डयूटी करने वाले पुलिस कर्मियों को इस एलाउंस से वंचित रहना पड़ता है। 24 घंटे डयूटी करने वाले पुलिस कर्मी ये भी कह रहे हैं कि नए पे रूल में प्रोविजन राइडर का कोई प्रावधान नहीं है। लिहाजा, एक बार जो वेतन फिक्स हो गया, बाद में उसे बदला नहीं जा सकता।
ये अलग बात है कि सरकार जो करना चाहे, कर सकती है। चूंकि चुनावी वर्ष शुरू हो चुका है, लिहाजा सरकार 2015 के बाद भर्ती पुलिस कर्मियों की मांग को पूरी तरह से नकारने की स्थिति में भी नहीं होगी।
गौरतलब है कि मीडिया के सवाल पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ये कहा था कि अनुशासित बल होने के नाते संयम रखें। हालांकि, वेतन विसंगति का सामना पुलिस कर्मियों को करीब-करीब 8 साल से करना पड़ रहा है, लेकिन ये पहला मौका है जब अनुशासन की लाइन को पार किए बगैर ये पुलिस कर्मी बगैर आंदोलन के ही आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं। अहम बात ये है कि इस बार पुलिस कर्मियों ने बटालियन के कमांडेंट सहित पुलिस महानिदेशक को भी खुले तौर पर पत्र लिखकर मैस के बहिष्कार की जानकारी दे दी है।
ये भी बताया जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय के मौखिक आदेश पर ही बटालियनों में कमांडेंट द्वारा मैस के बहिष्कार की रपट नहीं डाली जा रही थी। वेतन विसंगति को दूर करने पर अड़े पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से भी रोडे न अटकाने की बात की गई है।