शिमला, 7 जनवरी: बद्दी पुलिस के प्रोजेक्ट “थर्ड आई” को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में आयोजित 40वे राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन में सिल्वर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। ये प्रोजेक्ट सीसीटीवी निगरानी के मैट्रिक्स का उपयोग करते हुए साक्ष्य आधारित पुलिसिंग से जुड़ा है। साधारण शब्दों में समझे तो क्राइम करने वाले के खिलाफ न केवल कैमरे में सबूत जुट जाता है बल्कि अक्सर पुलिस को क्राइम की मिस्ट्री को बेपर्दा करने में सीसी कैमरे से ही सुराग मिलता है, यानी “आम के आम गुठलियों के भी दाम”।
शनिवार को आईपीएस रोहित मालपानी ने सिल्वर मेडल के साथ 1 लाख रुपये के नकद पुरस्कार को भी प्राप्त किया। इस दौरान बद्दी पुलिस की टीम भी मौजूद थी। डॉ. जितेंद्र सिंह, राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ये पुरस्कार प्रदान किया गया। चूंकि इस प्रोजेक्ट के ब्रेन चाइल्ड आईपीएस रोहित मालपानी थे लिहाजा पुलिस मुख्यालय ने उन्हें ही अवार्ड रिसीव करने हैदराबाद उन टीम के सदस्यों के साथ भेजा था जो प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने के अहम किरदार थे।
हिमाचल की बद्दी पुलिस द्वारा ‘तीसरी आंख’ मुहिम शुरू की गई थी। हरियाणा व पंजाब की सीमा पर औद्योगिक नगरी में पुलिस ने चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछा दिया। डीजीपी संजय कुंडू ने कहा था कि ये बड़ी उपलब्धि है। इलाके में करीब 5,000 औद्योगिक इकाइयां है। इस कारण संगीन अपराधों की आशंका रहती है। ‘तीसरी आंख’ योजना के अंतर्गत बद्दी पुलिस जिला में 2,038 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इन में से 1,845 पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट मॉडल) के तहत 2.45 करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए थे। योजना सुचारू रूप से चलाने के लिए 24X7 विंग का भी गठन किया गया।
कैमरों को गूगल मैप के साथ जियो-टैग भी किया गया ताकि वाहनों पर कैमरों से निगरानी की जा सके। आंकड़ों के मुताबिक योजना की वजह से बद्दी क्षेत्र में लूटपाट के मामलों में 2020 में 2018 के मुकाबले 37 प्रतिशत की कमी आई। जबकि चोरी की वारदातों में भी रिकवरी रेट बढ़ गया। 2018 में रिकवरी रेट 21.84 था जो 2020 में बढ़कर 77.10 पर पहुंच गया।