शिमला (एमबीएम न्यूज़) : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा रोहतांग दर्रे पर पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए व्यावसायिक व अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के मामले पर आज प्रदेश विधानसभा में हंगामा हुआ। सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, मनाली के विधायक गोविंद ठाकुर ने इस मामले पर स्पीकर बृज बिहारी लाल बुटेल से चर्चा करवाने का आग्रह किया। विधायक का कहना था कि यह जनहित से जुड़ा मुद्दा है और पांच दिन पहले उन्होंने चर्चा के लिए नियम-62 के तहत नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि एनजीटी के प्रतिबंध से उनके विधानसभा क्षेत्र में हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं तथा इस विषय पर सदन में तुरंत चर्चा करवाई जाए। विधायक ने यह भी कहा कि सरकार इस मामले को हल्के में ले रही है और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से बच रही है।
इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर तल्ख टिप्पणियां भी कीं, जिससे सदन में माहौल गरमा गया और मुख्यमंत्री व विधायक के बीच जमकर शब्दबाण चले।
विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल और भाजपा के मुख्य सचेतक सुरेश भारद्वाज ने भी रोहतांग मामले को गंभीर बताते हुए किसी भी नियम के तहत इस पर चर्चा कराने की स्पीकर से मांग की। लेकिन स्पीकर ने नियमों को हवाला देते हुए चर्चा करवाने की विपक्ष की मांग ठुकरा दी। स्पीकर के अनुसार विपक्ष की ओर से उन्हें नोटिस मिला है, जो उन्होंने टिप्पणी के लिए सरकार को भेज दिया है और अब सरकार की तरफ से जवाब मिलने पर ही वह चर्चा करवाने का निर्णय दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वो एनजीटी का सम्मान करते हैं, लेकिन रोहतांग दर्रे पर फैसले से वह सहमत नहीं हैं। इससे कुल्लू-मनाली के कई लोगों का रोजगार छिना है और सरकार इस मामले पर बेहद गंभीर है तथा एनजीटी के समक्ष जनता का पक्ष मजबूती से रखा जा रहा है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि रोहतांग के आगे भी कई अहम स्थान हैं, लेकिन वहां पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। केवल मनाली व रोहतांग के बीच ही प्रतिबंध लगा है जबकि यहां पर कोई ग्लेशियर भी नहीं है। सिंह ने कहा कि मनाली व रोहतांग में एनजीटी की कार्यवाही का सरकार ने हर कदम पर विरोध किया है और इस मामले को गंभीरता से नहीं लेने के विपक्ष के आरोप गलत हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले में जब तक एनजीटी कोई अंतिम निर्णय नहीं दे देती, तब तक सरकार सुप्रीम कोर्ट में नहीं जाएगी। विधायक गोविंद ठाकुर पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मामले को तूल देकर राजनीति करने के प्रयास में हैं और स्थानीय लोगों को गुमराह कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार को इस विषय पर सदन में चर्चा करने से कोई गुरहेज नहीं है।
इस मुददे पर सदन में 25 मिनट तक वाद-विवाद होता रहा। बाद में संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार नियम-62 के तहत चर्चा को तैयार है और इस पर कल चर्चा करवा दी जाए। इसके बाद सदन में माहौल शांत हुआ और प्रश्नकाल शुरू हो पाया।