शिमला 08 दिसंबर : दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी बेसहारा कृष्णा देवी को सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिल पाई है। किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ कुलदीप तंवर ने बताया कि बीते 26 नवंबर को संदीप की रहस्यमयी मौत की निष्पक्ष जांच करवाने तथा उनकी बेसहारा माता कृष्णा को फौरी राहत प्रदान करने बारे एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त शिमला से भेंट की थी। जिस पर उपायुक्त द्वारा तीन दिन के भीतर वरिष्ठ अधिकारी अर्थात बीडीओ मशोबरा को मौके पर भेजने का आश्वासन दिया गया था।
15 दिन बीत जाने पर भी बेसहारा कृष्णा देवी के घर जाकर किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली है। इससे प्रतीत होता है कि प्रशासन किसी असहाय गरीब की मदद करने के लिए गंभीर नहीं है। डाॅ तंवर ने बताया कि इस बारे शीघ्र ही सीएम से भेंट की जाएगी, ताकि कृष्णा को न्याय मिल सके। अन्यथा उन्हें आन्दोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा।
स्थानीय ग्राम पंचायत दरभोग के उप प्रधान जोगिन्द्र ठाकुर ने बताया कि कृष्णा देवी की मदद के लिए क्षेत्र के लोग आगे आए हैं और करीब 50 हजार रूपये की राशि चंदा के रूप में एकत्रित की गई है। ताकि बेसहारा कृष्णा देवी इस मुसीबत की घड़ी में कुछ राहत महसूस कर सके। बता दें कि कृष्णा ने ताउम्र एक से बढ़कर एक मुसीबतों का सामना किया है। जब सुख के दिनों की कल्पना कर रही थी तो काल ने इकलौते बेटे को ग्रास बना लिया। अधेड़ उम्र में कृष्णा अब अकेली रह गई है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि शादी के कुछ माह बाद ही गर्भवती कृष्णा को उनके पति ने छोड़ दिया था। मायके में दिन गुजारने के उपरांत एक-एक करके सबसे पहले उनके पिता, माता और बाद में इकलौता भाई ने भी संसार को छोड़ कर चले गए। सभी दुःखों को भूलकर कृष्णा अपने इकलौते बेटे संदीप को सहारा मानकर उनके साथ अपने जीवन के दिन बिता रही थी। अचानक 19 नवंबर को उनका बेटा संदीप भी बदनसीब मां को अकेला को छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गया। संदीप की अकस्मात मृत्यु से हर कोई अचंभित है। लोगों द्वारा संदीप की हत्या की आशंका जताई जा रही है।
14 नवंबर को संदीप के साथ चीनी बंगला में बार चलाने वाले एक व्यक्ति द्वारा मारपीट की गई थी। इस घटनाक्रम के उपरांत किन परिस्थितियों में संदीप ने मौत को गले लगा दिया यह रहस्य बन कर रह गया है। कृष्णा के मकान की हालत भी बहुत दयनीय है अधिक बारिश अथवा बर्फबारी होने से मकान कभी भी ढह सकता है। कृष्णा की बहन के बेटे रमेश ने बताया कि संदीप की मृत्यु के उपरांत उनकी मौसी कृष्णा के घर कोई भी अधिकारी सुध लेने नहीं आया है।
खंड विकास अधिकारी मशोबरा अंकित कोटिया से जब इस बारे दो दिनों से बात करनी चाही तो उनके द्वारा कांफी बार संपर्क करने पर भी फोन नहीं उठाया गया । जिससे प्रतीत होता है कि अधिकारी जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है।