मंडी (वी कुमार)इन दिनों प्रदेश की विभिन्न पंचायतों व नगर परिषदों में राशन कार्डों के डिजिटलाइजेशन का कार्य जोरों पर चला हुआ है। राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार 29 फरवरी तक इस कार्य को पूरा किया जाना है नहीं तो प्रदेश को मिलने वाले राशन के कोटे में कटौती हो जाएगी।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह कार्य 29 फरवरी तक किस प्रकार पूरा किया जाएगा, क्योंकि मौजूदा समय में अधिकतर पंचायतें ऐसी हैं, जहां पर पंचायत सचिवों के पद खाली चल रहे हैं। कहीं-कहीं पर एक-एक पंचायत सचिव के पास चार से पांच पंचायतों का दायित्व सौंपा गया है। ऐसे में पंचायत सचिव किस पंचायत का कार्य करे और किस पंचायत के कार्य को छोड़े यह चिंता का विषय बनता जा रहा है।
पंचायत सचिव के पास दिन भर सिर्फ राशन कार्डों को डिजिटल करने का ही कार्य नहीं है बल्कि दिनचर्या के कई ऐसे कार्य भी हैं, जिन्हें पूरा किया जाना बेहद जरूरी होता है। इस कारण प्रतिदिन एक पंचायत में मात्र 30 से 40 राशन कार्ड ही वैरीफाई हो पा रहे हैं जबकि अधिकतर पंचायत में एक हजार से भी अधिक राशन कार्डधारक हैं। यदि इसी तरह से कार्य होता रहा तो 29 फरवरी तक इस कार्य का पूरा हो पाना असंभव सा प्रतीत हो रहा है।
अगर निर्धारित दिनों में राशन कार्ड डिजिटल नहीं हो पाते हैं तो अंतोदया व बीपीएल में आने वाले परिवारों का क्या होगा जो कि डिपू में आने वाले राशन पर ही आस लगाए बैठे होते हैं। एक ही कर्मचारी होने के कारण कार्य धीमी गति से चल रहा है, तथा भीड़ अधिक होने के कारण कई लोगों को बिना कार्य पूरा किए ही वापिस घर लौटना पड़ रहा है।
ग्राम पंचायत डडौर के सचिव दिनेश गुलेरिया ने बताया कि प्रतिदिन 30 से 40 राशन राशन कार्ड ही वैरीफाई हो पा रहे हैं, साथ-साथ उसके पब्लिक डिलींग के और कार्य भी निपटाए जा रहे हैं।