शिमला, 02 सितम्बर : बाग़वानों को राम भरोसे छोड़ कर सरकार का सारा ध्यान उप-चुनाव पर ही केंद्रित हैं। यह बात पूर्व मुख्य संसदीय सचिव व जुब्बल-नावर-कोटखाई के पूर्व विधायक रोहित ठाकुर ने प्रेस में ज़ारी एक ब्यान में कहीं।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में सेब को विशेष उत्पाद श्रेणी का दर्ज़ा दिलाने व सेब पर आयात शुल्क तीन गुना बढ़ाने की बात की थी। सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में शामिल करना तो दूर की बात हैं इसके विपरीत सेब पर जो आयात शुल्क 50% प्रतिशत हुआ करता था मोदी सरकार ने उसे घटाकर 15% प्रतिशत कर दिया हैं जिसके चलते अब विदेशों से सस्ते दामों में सेब आयात होगा और प्रदेश के बागवानों को भारी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सेब उद्योग को प्राथमिकता देते हुए ईरान, मध्य एशिया देशों सहित अन्य देशों से सेब आयात पर रोक लगाने का मामला केंद्र सरकार से उठाएं।
रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार MIS के तहत बागवानों से 9.50 रुपए में सेब ख़रीद रही हैं, जबकि परमाणू विक्रय केंद्र में इसे मात्र एक रुपए की दर से बेचा जा रहा हैं। जिससे मंडियों में सेब के दाम लगातर गिरते जा रहें हैं। यदि इसी तरह MIS के सेब का विक्रय होता रहा तो बाज़ार में सेब के दाम बढ़ने की सभी संभावनाएं ख़त्म हो जाएगी। इससे पहले कि जम्मू-कश्मीर का सेब मंडियों में दस्तक दें सरकार एमआईएम के तहत ख़रीदे जाने वाले सेब को नष्ट करने बारें आवश्यक क़दम उठाएं।
वहीं, उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सेब उद्योग पर आए संकट से उभरने के लिए जम्मू-कश्मीर की तर्ज़ पर हिमाचल में भी नेफेड़ के माध्यम से सेब विपणन किया जाना चाहिए। सेब उद्योग पर आएं संकट को देखते हुए प्रदेश सरकार हिमाचल के बाग़वानों का सेब NAFED के माध्यम से विपणन करने बारें मामला केंद्र सरकार से उठाएं।
प्रतिकूल मौसम और ओलावृष्टि के चलते सेब की फ़सल को नुक़सान पहुँचा हैं, वहीं अब सेब के दामों में हुई एकाएक गिरावट से बाग़वानों को सेब का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा हैं। गत्त दो वर्षो से बागवानों की MIS के तहत लगभग 15 करोड़ रुपए की राशि लंबित पड़ी हैं। जिसे बार-2 आग्रह पर भी ज़ारी नही किया जा रहा। सरकार एमआईएस के तहत सेब खरीद कर बाग़वानों को मौकें पर 50% भुगतान करें ताकि बागवान अपने आगामी खर्चो का वहन कर सकें।
सेब की उत्पादन लागत बढ़ती जा रही हैं। फफूंदनाशक-कीटनाशक दवाइयां महंगी , सेब पैकिंग सामग्री के मूल्यों में 25-30% की वृद्धि, पेट्रोल-डीज़ल के दामों में बढ़ोतरी के चलते भाड़े में भी अतिरिक्त वृद्धि हुई हैं। उत्पादन लागत में अप्रत्याशित हुई हैं और इसके बावजूद भी अदानी ग्रुप इस वर्ष 10 साल पहले निर्धारित किए गए दामों पर बाग़वानों से सेब ख़रीद रहा हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि जयराम ठाकुर हस्तक्षेप कर उच्चाधिकारियों और अदानी प्रबंधन की उच्च स्तरीय बैठक करवाएं जिसमें बागवानों के हित में फ़ैसला लिया जा सकें।