शिमला, 29 अगस्त : 17 अक्तूबर 2021 को विधायक विक्रमादित्य सिंह 32 बरस के हो जाएंगे। हालांकि पिता स्व. वीरभद्र सिंह से राजनीति विरासत में मिली है, लेकिन विधानसभा में पहली पारी में ही कम उम्र में ही बेबाक तरीके से अपनी बात को रखने में माहिर नजर आ रहे हैं। इसके लिए अगर विधायक को पार्टी लाइन छोड़कर व्यक्तिगत राय भी जाहिर करनी पड़े तो संकोच नहीं करते हैं। ये वो चार बातें हैं, जो इस तरह इशारा करती हैं…
राकेश टिकैत पर टिप्पणी…
शनिवार को किसान नेता राकेश टिकैत हिमाचल पहुंचे थे। सोलन की सब्जी मंडी में आढ़तियों से टिकैत की तू तू-मैं मैं भी हो गई। देश में किसानों के आंदोलन को कांग्रेस से जोड़कर भी देखा जा रहा है, क्योंकि खुलकर कांग्रेस टिकैत का समर्थन कर रही है। हिमाचल में भी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने टिकैत का स्वागत किया तो वहीं विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी लाइन को छोड़कर अपनी बात बेबाकी से कह डाली। इसमें विक्रमादित्य ने साफ तौर पर कह दिया कि हिमाचल के बागवान खुद अपनी आवाज उठाने में सक्षम हैं।
युवा विधायक की बात पर कांग्रेस भी कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं करती है, क्योंकि पार्टी भी यह बात समझ गई है कि वो अपनी बात को बेबाक रखने में माहिर हो गए हैं। खास बात ये रही कि विक्रमादित्य ने अपनी बात बेबाक तरीके से कह कर जनता की खूब प्रशंसा बटोर ली, क्योंकि जनता भी नहीं चाहती कि प्रदेश में अराजकता का माहौल पैदा हो।
स्वर्ण आयोग के गठन…
हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में युवा विधायक विक्रमादित्य सिंह ने बेहद ही संभल कर स्वर्ण आयोग के गठन की वकालत भी कर डाली। साथ-साथ ये भी दोहरा दिया कि ये उनकी व्यक्तिगत राय है। आम लोगों को व्यक्तिगत या पार्टी लाइन की विचारधारा से कोई खास लेना-देना नहीं होता, बल्कि ये देखा जाता है कि मांग के पीछे बहुमत में जनता क्या कह रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले कुछ समय से स्वर्ण आयोग के गठन का मामला राज्य में खूब सुर्खियां बटोर रहा है। अंदरखाते तो पार्टी भी युवा विधायक की बेबाकी से हैरान होती है। मगर चुप्पी इस कारण भी रखनी पड़ती है, क्योंकि वास्तव में ये मुद्दे सीधे जनता से जुड़े होते हैं।
सरकार का नया हेलीकाॅप्टर…
चंद माह पहले राज्य सरकार ने मोटे खर्चे पर नया हेलीकाॅप्टर लेने का फैसला लिया था। सरकार की कांग्रेस घेराबंदी कर रही थी। साथ ही आम लोग भी सरकार की आलोचना में लगे हुए थे, मगर उस समय भी विधायक विक्रमादित्य ने बगैर संकोच के ही सरकार के फैसले को सही ठहरा दिया था। वो बार-बार कहते हैं कि अगर सरकार सही फैसले लेगी तो पार्टी लाइन से ऊपर उठकर भी वो तारीफ करने में पीछे नहीं रहेंगे। हमेशा ही सरकार को लाॅजिकल तरीके से ही घेरने की कोशिश करते हैं।
हमारा नाम विक्रमादित्य है…
चंद रोज पहले की अगर एक सोशल मीडिया पोस्ट देखें तो विक्रमादित्य ने लिखा था कि हमारा नाम विक्रमादित्य है, इसी नाम से पुकारें। दरअसल, वंश की परंपरा के मुताबिक वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उन्हें बुशहर रियासत में राजा की उपाधि भी हासिल हुई है। बेशक ही लोकतांत्रिक प्रणाली में इस उपाधि के कोई मायने आज नहीं है, लेकिन राज परिवारों में आज भी राजतिलक या फिर मंगलतिलक जैसी परंपराओं का चलन जारी है। हालांकि पोस्ट में विक्रमादित्य सिंह ने इसकी वजह नहीं बताई थी, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कई लोग उन्हें राजा कहकर संबोधित कर रहे थे। बता दें कि युवा विधायक विक्रमादित्य अब तक यूके, फ्रांस, बैल्जियम, सिंगापुर, यूएसएस व चीन की यात्राएं कर चुके हैं।