नाहन – सिरमौर जिला कि राजगढ विकासखंड की नहरपाब पंचायत में करीब दो करोड के विकास कार्य कागजों में तो हुए लेकिन उन्हें हकीकत में कोई रूप नहीं दिया गया, जबकि इनके लिए पूरा पैसा भी जारी हो चुका है। यह पंचायत दुर्गम क्षेत्र में है, कोई अधिकारी जांच के लिए भी नहीं आता जाता। यहीं कारण है कि पिछले चार सालों से अलग-अलग विभागों द्वारा एक ही कार्य की एवज में लाखों रूप्ये खर्च किए जाते रहे। ग्रामीणों ने आरटीआई एक्ट के तहत मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना, विकास ख्ंाड राजगढ व भू संरक्षण विभाग द्वारा करवाए गए कार्यो के आंकडे जुटाने के बाद निर्माण कार्यो को कठघरे में खडा कर दिया है। आरटीआई में जुटाई गई जानकारी को आधार माना जाए तो पंचायत में अब तक अलग-अलग योजनाओं के तहत करोडों रूप्ये की राषि खर्च हो चुकी है, लेकिन पंचायत का चेहरा नहीं बदला है। मध्य जलागम विकास परियोजना द्वारा पंचायत में 2008-09 से 2011-12 के बीच लगभग 24 लाख रूप्ये खर्च किए गए। इस राषि में चैकडैम, तालाब, रास्ते व सामुदायिक तालाब का निर्माण कागजों में दिखाया गया है लेकिन हकीकत में यह हुए ही नहीं। पंचायत में मनरेगा के तहत लगभग 67 निर्माण कार्य हुए, जिसमें बावडियों, तालाबों, रास्तों का निर्माण किया गया। वहीं बीआरजीएफ में भी दो दर्जन से अधिक कार्यो पर लाखों रूप्ये की राषि खर्च हुई। मजेदार बात यह भी है कि भू-संरक्षण विभाग भी पंचायत में 2002 से निर्माण कार्य करवा रहा है। अगर गौर किया जाए तो भू-संरक्षण विभाग ने भी मात्र पांच सालों में चैकडैम, सामुदायिक तालाब व व्यक्तिगत तालाब इत्यादि के निर्माण पर 10 लाख रूप्ये की राषि खर्च की है। ग्रामीणों का आरोप है कि मत्स्य विभाग ने पंचायत में लाखों रूप्ये खर्च कर मत्स्य पालन टैंक बनाए है, लेकिन गौर करने वाली बात है कि पंचायत में इतना पानी उपलब्ध नहीं है कि ग्रामीण इस व्यवसाय को अपना सकें। उधर इस बारे में संबधित विभागों के आला अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है मगर फोन पर हुई बातचीत में इतना जरूर बता रहे है कि इस मामले में जांच चल रही है।
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