शिमला, 03 अगस्त : हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने रिज मैदान पर वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित करने का सरकार से आग्रह किया है। सदन में शोकोद्गार पेश करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ बिताए लम्हों को याद किया और कहा कि हिमाचल में चहुंमुखी विकास में उनका अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह जीवंत आत्मा थे। जो कहना होता था वह कह देते थे। जब नहीं कहना होता था, तो कुछ नहीं कहते थे।
राजनीतिक दृष्टि से स्थान व समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने लोगों के जीवन में जगह बनाई, जिसे उनकी अंतिम यात्रा में साफ दिखाई दिया।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शोकोद्गार में हिस्सा लेते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह के निधन के बाद राज्यभर में लोगों ने जिस तरह से उन्हें याद किया, उससे उन्हें फक्र है कि वीरभद्र सिंह जैसा व्यक्तित्व उनके नेता थे। मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वीरभद्र सिंह की आदमकद प्रतिमा रिज मैदान पर स्थापित की जाए। वीरभद्र सिंह ने विधायकों और पूर्व विधायकों के लिए जो किया है, वह कोई और नहीं कर सकता।
अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने राजा परिवार में जन्म तो लिया, लेकिन उन्होंने लोगों के दिलों पर राज किया। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने देश में जवाहर लाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी सरकारों में काम किया। उन्होंने कहा कि डॉ. वाईएस परमार हिमाचल निर्माता कहते हैं तो वीरभद्र सिंह आधुनिक हिमाचल के निर्माता रहे। वीरभद्र सिंह ने सारे हिमाचल का एक समान विकास किया और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर काम किया। वे जाति और क्षेत्र विशेष से ऊपर उठकर नेता थे और गरीब को देखते ही उनके आंसू छलकते बहुत बार देखे।
अग्निहोत्री ने नरेंद्र बरागटा के निधन पर भी शोक जताया और कहा कि उनसे पुराना नाता रहा है। उन्होंने कहा कि बरागटा विकास को सर्वोपरि मानते थे और जब वे बीमार थे, तो दो-तीन बार फोन पर बात भी हुई थी और ऐसा नहीं लगा कि वे उनके बीच नहीं रहेंगे। उन्होंने पूर्व सदस्य मोहन लाल, अमर सिंह चौधरी और राम सिंह के निधन पर भी शोक जताया। उन्होंने कोरोना संक्रमण और प्राकृतिक आपदा में लोगों के निधन पर भी शोक जताया और शोकाकुल परिवार के प्रति गहरी संवेदना जताई।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यह शायद ऐसा पहला मौका होगा, जब एक साथ दो सीटिंग सदस्यों और तीन पूर्व सदस्यों के निधन पर शोकोद्गार पेश करना पड़ा है। वीरभद्र सिंह हमेशा सदन में आते रहे हैं, चाहे सत्ता में हों या फिर विपक्ष में हों। भारद्वाज ने कहा कि उनका जन्म ही हालीलाज में हुआ है। विरोध के बावजूद धर्मांतरण का बिल वीरभद्र सिंह सदन में लाए थे और उसे पास किया। वीरभद्र सिंह जमीन से जुड़े नेता थे और ऐसा कोई गांव नहीं होगा, जहां वे पैदल न गए हों।
शिक्षा के प्रति उनका रुझान शुरू से था। यह गुण रियासत के समय से ही था और रामपुर में अंग्रेजों के समय भी हाई स्कूल था और कई अधिकारी उच्च शिक्षा के लिए रियासत के खर्चे पर गए थे। ऐसा व्यक्तित्व शायद ही अब हिमाचल को मिले।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता व विधायक आशा कुमारी, वन मंत्री राकेश पठानिया,विधायक राम लाल ठाकुर, डॉ. राजीव बिंदल, डॉ. धनीराम शांडिल, कमलेश कुमारी, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, बिक्रम सिंह जरियाल, जगत सिंह नेगी, बलवीर वर्मा एवं नंद लाल ने भी हिस्सा लिया।