केलांग, 01 अगस्त : रविवार को लाहौल घाटी में फंसे 18 लोगों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से रेस्क्यू किया गया। जिसमें एक गर्भवती महिला भी शामिल रहीं। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कैबिनेट मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा भी मौजूद रहे और उन्होंने रेस्क्यू किए कुछ लोगों से बात भी की। रेस्क्यू ऑपरेशन में खास बात यह रही कि इसमें राज्य सरकार के नए हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया गया। यह नए हेलीकॉप्टर की पहली फ्लाइट है। जिसे लाहौल घाटी में रेस्क्यू ऑपरेशन में उपयोग किया गया।
बता दें की इस हैलीकाॅप्टर को कोरोना संकट के दौर में रशिया से मंगाया गया था। यह हैलीकाॅप्टर एमआई 171A-2 स्काई वन कंपनी का है, जिसे पांच साल के लिए लीज पर लिया गया है। इसमें प्रदेश सरकार को खासी किरकिरी का सामना करना पड़ा था। विपक्ष द्वारा सरकार पर आरोप लगाए जा रहे थे। लेकिन अब यह कहना भी गलत नहीं होगा की यह हैलीकाॅप्टर लाहौल घाटी में फसे लोगों के लिए देवदूत बन गया।
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हेलीकॉप्टर पर प्रति घंटा 5 लाख 10 हजार का खर्च आता है। यह 24 सीटर हेलीकॉप्टर है। जिसमें डबल इंजन है व पायलट इसे कंट्रोल करते है। इसकी खास बात ये है कि हैलीकाॅप्टर न्यू ब्रांड है। सुरक्षा की दृष्टि से भरोसेमंद होने की वजह से जनजातीय क्षेत्रों में उड़ानें आसानी से कर सकता है। इसे माइनस 50 डिग्री तापमान से 50 डिग्री सैल्सियस तक भी उड़ाया जा सकता है। कैबिन की लंबाई 636 सैंटीमीटर है, जबकि चौड़ाई 234 सैंटीमीटर है। उपकरण की ऊंचाई 180 सैंटीमीटर है।
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हैलीकाॅप्टर के नए माॅडल की पहली उड़ान 2014 में हुई थी। वहीं इस दौरान झूले से दोपहर तक 50 लोगों को रेस्क्यू करके बस के द्वारा मनाली पहुंचाया गया। उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार ने कहा कि आज 18 लोगों को इन फ्लाइट के जरिए तान्दी हेलीपैड पहुंचाया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार उदयपुर क्षेत्र में फंसे सभी लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। उपमंडलीय प्रशासन को हिदायत दी गई है। उन्होंने बताया कि उदयपुर क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी भी बहाल हो गई है।
31 जुलाई को 21 टैंकर्स की टीम के अलावा लगभग 45 अन्य लोगों को भी जोबरंग, लिंगर और रावा से होते हुए रेस्क्यू किया गया। वे सभी अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण, जल शक्ति, बिजली बोर्ड, कृषि और बागवानी क्षेत्र में हुए नुक्सान की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि पट्टन वैली में स्पैन के निर्माण के निर्देश दिए गए हैं, ताकि सड़क की पूरी बहाली तक किसानों को वैकल्पिक सुविधा मिल सके।