शिमला, 24 जुलाई : स्व. वीरभद्र सिंह के बाद सूबे में कांग्रेस में उत्तराधिकारी की तलाश जारी है। इसी बीच राज्य के जननायक वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के चुनाव लड़ने को लेकर भी सुगबुगाहट है। निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अगर पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह चुनाव लड़ने को लेकर सहमत हो जाती हैं तो उनकी पसंद क्या होगी। मंडी संसदीय सीट से वो पहले भी वो सांसद रह चुकी हैं।
वहीं, अर्की विधानसभा क्षेत्र दिवंगत पति की पसंद रहा है। अब तक पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह या फिर उनके विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह ने चुनाव को लेकर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है।
मंडी संसदीय क्षेत्र से प्रतिभा सिंह ने पहला चुनाव 2004 में जीता था। इसके बाद 2013 में उस समय उप चुनाव जीता था, जब वीरभद्र सिंह ने इस सीट को खाली किया था। उधर अर्की विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो 1967 के बाद से कांग्रेस ने इस सीट को पांच बार जीता है।
1990 में जनता दल के साथ गठबंधन पर चुनाव लड़ने के दौरान ये सीट भाजपा की झोली में आ गई थी। मगर इसके बाद कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाई। 2007 व 2012 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले गोविंद राम शर्मा अपनी हैट्रिक नहीं बना पाए थे। कारण ये था कि 2017 में उनके सामने कांग्रेस ने दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह को उतार दिया था।
वहीं कांग्रेस के संजय अवस्थी को भी टिकट के तलबगारों में देखा जा रहा है। इतना तय है कि अगर पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह मंडी या अर्की से चुनाव लड़ने की सहमति दे देती है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस इससे इंकार नहीं करेगी। इस समय समूचे प्रदेश में कांग्रेस की बजाय वीरभद्र सिंह के परिवार के प्रति सहानुभूति की लहर भी है। अधिकतर उप चुनावों का इतिहास यही रहा है कि सत्तारूढ़ राजनीतिक दल ही चुनाव को जीतता हैै।
गौरतलब है कि दिवंगत वीरभद्र सिंह ने कोटखाई-जुब्बल व रोहडू के अलावा अर्की विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव जीते हैं। मंडी से भी लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। उधर एक तर्क ये भी है कि अर्की उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी जिन नए चेहरों पर विचार कर रही है, उनमें प्रतिभा सिंह का नाम प्रमुख है। प्रतिभा सिंह पूर्व में मंडी लोकसभा का भी प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। कांग्रेस पार्टी मंडी लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा को उतारने का जोखिम नहीं लेना चाह रही है। कांग्रेस के थिंक टैंक की रणनीति ये भी है कि प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह की कमी को प्रतिभा सिंह व उनके विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह के जरिए पूरा किया जाए।
बता दें कि छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की पूरे प्रदेश में पैठ रही है और पिछले चार दशक मे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने उनके चेहरे पर ही चुनाव लड़े हैं। कांग्रेस की दूसरी पंक्ति में वीरभद्र सिंह के कद जैसा सर्वमान्य नेता नहीं है। वीरभद्र सिंह का गत आठ जुलाई को आईजीएमसी में निधन हुआ था। दूसरी तरफ भाजपा में अर्की सीट पर उम्मीदवार के चयन पर घमासान मचा है। दो बार विधायक रहे गोविंद शर्मा ने 2017 के चुनाव में उम्मीदवार बनाए गए रत्न पाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गोविंद शर्मा और उनके समर्थक रत्न पाल को दोबारा उम्मीदवार न बनाने की वकालत कर रहे हैं।
अर्की सीट पर गोविंद शर्मा उन्हें टिकट देने की मांग कर रहे हैं। अर्की भाजपा में पनपे असंतोष को शांत करना पार्टी के लिए चुनौती बन गया है।हिमाचल प्रदेश में अर्की सहित तीन विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं।अर्की के अलावा जुब्बल और फतेहपुर विधानसभा सीटों तथा मंडी लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। ये उपचुनाव वर्ष 2022 के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सेमीफाइनल साबित हो सकते हैं। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।