शिमला, 14 जून : सूबे में सार्वजनिक परिवहन के बहाल होने पर सोमवार को प्रदेश में एचआरटीसी बसों ने 34 दिन बाद फिर से सड़कों पर फर्राटा भरना शुरू कर दिया है। बसों में फिलहाल कुल क्षमता के 50 प्रतिशत के बराबर ही सवारियां बिठाने की अनुमति है। हालांकि पहले दिन आज सड़कों पर एचआरटीसी की कम ही बसें नज़र आईं। जिससे लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
यात्रियों को काफी इंतजार करने के बाद बसें मिल रही हैं। तेज धूप के चलते बढ़ी गर्मी ने यात्रियों की परेशानी और बढ़ा दिया। आज से बाज़ार शाम 5 बजे तक खुल गए हैं, वहीं सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों की मौजूदगी 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दी गई है। दफ्तर व बाजार जाने के लिए लोग घरों से बाहर निकलकर बसों की प्रतीक्षा करते रहे।
दरअसल एचआरटीसी ने मात्र 20 से 25 फीसदी रूटों पर ही आज बसें चलाने की तैयारी की है। इनमें लोकल रूटों सहित चुन्निंदा लम्बे रूट भी शामिल हैं।
निजी बस ऑपरेटरों ने टैक्स सम्बंधी अपनी मांगों के पूरा न होने पर बसें न चलाने का निर्णय लिया है। ऐसे में परिवहन का पूरा दारोमदार सरकारी बसों पर आ गया है तथा यात्रियों को बसों के लिए काफी इंतज़ार करना पड़ रहा है।
राजधानी शिमला के आईएसबीटी बस अड्डे से सुबह 11 बजे तक महज़ दो-तीन बसों का संचालन हुआ। बसों के इंतज़ार में सुबह 6 बजे से यात्री खड़े थे। एचआरटीसी के मुताबिक शिमला शहर में 100 से अधिक रूटों पर आज दिन भर बसों का संचालन होगा। हालांकि शहर की आबादी को देखते हुए 100 बसें काफी नहीं हैं। अन्य दिनों की तरह लोग अपने निजी वाहनों व टैक्सियों में सवार होकर बाज़ार व दफ्तर पहुंच रहे हैं।
एचआरटीसी के अधिकारियों का कहना है कि सोमवार को लगभग एक हज़ार रूटों पर बसें भेजने की कोशिश की गई है। चालकों व परिचालकों के ड्यूटी पर नहीं पहुंच पाने के कारण कई रूटों पर बसें रवाना नहीं हुईं।
गौर है कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार के निर्देश पर प्रदेश में बसों का 10 मई से संचालन बंद था। इसके चलते एचआरटीसी को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा है। सूबे में परिवहन का मुख्य जरिया बसें ही हैं। हालांकि 3500 के करीब निजी बसों के हड़ताल से परिवहन व्यवस्था अभी भी ठप है।