सुंदरनगर, 14 जून : जिला के पलौहटा गांव की (43) रुकमणी देवी ने भी खाद्य प्रसंस्करण की तकनीक से अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर मिसाल पेश की है। रुकमणी के पास गांव में 3 बीघा जमीन है, जिसमें वह पहले गेहूं, धान व मक्की लगाते है। पति मिस्त्री का काम करता था, लेकिन कुछ वर्ष पहले काम करते समय हाथ की तीन उंगलियां कट गई। अब घर की जिम्मेदारी रुकमणी के कंधों पर आ गई।
वर्ष 2012 में राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण मिशन रुकमणी के लिए एक आशा की किरण बनकर आया। मिशन के तहत 10 महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह बनाया और उन्हें संगठित होकर काम करने के बारे में जानकारी दी।
इसके तहत रुकमणी ने मंडी के पारंपरिक उत्पादों में कचौरियां, बडियां, सीरा और सेवियां बनाकर उन्हें स्थानीय मेले में बेचना आरंभ किया। इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में आने पर उन्होंने आंवला और अन्य मेडिसिनल फलों से जैम, चटनी, मुरब्बा और कैंडी जैसे मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाने सीखे। जिसका उन्हें काफी लाभ हुआ और उन्होंने अपनी आर्थिकी सुदृढ़ की। अब रुकमणी देवी ने मशरूम उत्पादन का काम भी शुरू कर दिया।
बता दें कि रुकमणी देवी को इस वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया और 5 हजार की प्रोत्साहन राशि भी दी गई। रुकमणी अब संडे मार्केट में भी अपने बनाए उत्पाद बेच रही है। कोरोना काल में अधिकांश लोगों ने ऑनलाइन ऑर्डर देकर उत्पाद घर से खरीदे है। अपनी सफलता पर उद्यमी किसान रुकमणी देवी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र ज़िले के संपर्क में आने से पहले किसी नई सोच के बारे में जानकारी नहीं थी।
उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के द्वारा जानकारी और सहायता मुहैया करवाने से अपने आपको एक उद्यमी किसान बनाया है। रुकमणी ने अपनी इस सफलता का श्रेय कृषि विज्ञान केंद्र और राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण मिशन को दिया है।
केंद्र की गृह वैज्ञानिक डॉ. कविता शर्मा ने गांव प्रसंस्करण पर कई शिविर लगाए और महिलाओं ने फलों, सब्जियों व अन्य खाद्य पदार्थों के प्रसंस्करण की महत्ता बताई और उत्पाद बनाने को प्रेरित किया। कृषि विज्ञान केंद्र में लगाई प्रदर्शनी में मिला प्रथम पुरस्कार रुकमणी के बनाए उत्पादों पर केंद्र द्वारा लगाई प्रदर्शनी के माध्यम से उन्हें पहचान मिली।