नाहन, 09 जून : क्या नाहन में पानी (Water) के बिलों (Bills) की राशि में मनचाही (Desired) एंट्री (Entry) कर दी जाती है। उपभोक्ताओं (Consumers) को इच्छा माफिक बिल थमा दिए जाते हैं। हालांकि बिलों को लेकर उपभोक्ता अक्सर बात करते हैं, लेकिन इस पर शिकायत (Complaint) करने के लिए कोई आगे नहीं आया।
रोचक बात ये है कि कोविड संकट(Pandemic) में नन्हें बच्चे भी आधुनिक तकनीक (Advance Technology) का इस्तेमाल कर ऑनलाइन पढ़ाई(Online Education) कर रहे हैं, मगर जल शक्ति विभाग का नाहन मंडल अब तक भी ऑनलाइन बिल व भुगतान की सुविधा शुरू नहीं कर पाया है। यही बात, आशंका को यकीन में बदलती नजर आती है कि औसत देख कर ही बिल की राशि जारी कर दी जाती है।
सही तरीके से भुगतान करने वालों को भी नुकसान का सामना करना पड़ता है। यकीन मानिए कि शहर में आज तक कोई ऐसा माॅडयूल (Module) नहीं बन पाया, जिसमें उपभोक्ताओं को बिलों के भुगतान को लेकर कोई पारदर्शिता (Transparency) हो। कोविड संकट में हर भुगतान ऑनलाइन किया जा रहा था, वहीं नाहन में आज भी पानी के बिलों को जमा करवाने के लिए काउंटर (Counter) पर जाना पड़ता है।
खैर, स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) स्व. जगमोहन रमौल के समाजसेवी बेटी सुधीर रमौल की एक शिकायत जल शक्ति विभाग की व्यवस्था की पोल खोलती नजर आ रही है। 8 जून 2021 को अधिशाषी अभियंता को लिखे पत्र में रमौल ने कहा कि उनके घर कुछ समय से पानी के गलत बिल भेजे जा रहे हैं।
मामले को मौखिक व लिखित तौर पर कई बार उठाया। रमौल के मुताबिक 25 सितंबर 2020 को एक पत्र प्राप्त हुआ था, इसमें मीटर खराब होने का तर्क दिया गया। 26 सितंबर को नया मीटर लगवा दिया गया। साथ ही विभाग को भी सूचित किया। रमौल ने कहा कि वो उस समय हैरान रह गए, जब 25 सितंबर को ही विभाग ने उनकी रीडिंग 3 लाख 73 हजार दर्शा दी।
20 जनवरी 2021 को मीटर की रीडिंग निल दिखा दी गई। 20 मई 2021 की रीडिंग 70 हजार दर्शाई गई। जबकि मीटर 90 की रीडिंग दिखा रहा था। रमौल ने कहा कि 24 मई को विभाग को दोबारा सूचित किया गया। 27 मई 2021 को विभाग का कर्मचारी बिल लेकर आया। साथ ही कहा कि ये मार्च 2021 का बिल है।
बहरहाल, रमौल ने अपने तर्कों के साथ विभाग को सूबत के तौर पर बिलों व मीटर रीडिंग से जुड़े दस्तावेज व तस्वीरें भी उपलब्ध करवाई हैं। उधर, जल शक्ति विभाग के अधिशाषी अभियंता आशीष राणा ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि उन्होंने सोमवार को ही कार्यभार संभाला है। उन्होंने माना कि नई तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। प्रयास किए जा रहे हैं कि उपभोक्ताओं का डाटा ऑनलाइन(Data Online) किया जाए। साथ ही ऑनलाइन ही बिलों के भुगतान(Payment) की व्यवस्था की जाए।
ये भी आशंका..
लंबे अरसे से ये भी चर्चा रहती है कि शहर की पेयजल लाइनों से अवैध कनेक्शन जोड़े गए हैं। अगर उपभोक्ता की जानकारी पारदर्शी हो जाएगी तो अवैध कनेक्शनों (Illegal Connection) पर भी नकेल कसी जा सकती है। सूत्रों का ये भी कहना है कि अवैध कनेक्शन की वजह से जहां विभाग को राजस्व का नुक्सान उठाना पड़ता है, वहीं कई बार उपभोक्ताओं को पेयजल की किल्लत का भी सामना करना पड़ता है।
विभाग ये भी मान रहा है कि काफी संख्या में उपभोक्ताओं के पानी के मीटर(Meter) खराब पड़े हुए हैं। इस कारण औसत(Average) के आधार(Basis) पर बिल (Bill) जारी किए जाते हैं। सवाल ये भी उठता है कि विभाग मीटर्स(Meters) बदलने को लेकर उचित कार्रवाई(Action) क्यों नहीं करता है। कहीं न कहीं आशंका ये भी जाहिर की जाती है कि पूरे सिस्टम (System) के ऑनलाइन(Online) होने की स्थिति में अवैध कनेक्शन (Illegal Connection) वालों पर गाज गिर सकती है। इसी कारण टाल मटोल(Evasive) का रवैया (Attitude) लंबे अरसे से अपनाया जा रहा है।