शिमला, 30 मई : सूबे में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो चुका है। स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारी पूरी तरह से कमर कसे हुए हैं। तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका है।
महामारी से निपटने के लिए अस्पतालों में बच्चों के उपचार से जुड़ी व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने की कवायद की जा रही है। अस्पतालों में बाल चिकित्सा वार्ड स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है।
दरअसल कोरोना महामारी की दूसरी लहर से आमजन तो क्या महकमा भी अंजान था। इस वजह से अप्रैल और मई माह में कोरोना ने लोगों पर जमकर कहर बरपाया।
स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत बच्चों की सुरक्षा और बच्चों के कोविड मामलों के लिए व्यवस्था करने को प्राथमिकता दे रही है। इस महामारी के दौरान बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग प्रभावी कदम उठा रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, मेडिकल काॅलेजों के प्रधानाचार्यो और जिला अस्पतालों, नागरिक अस्पतालों और मेडिकल काॅलेजों के चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश दिए गए है कि वे समर्पित कोविड अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं में वृद्धि करके या उपलब्ध सुविधाओं में बिस्तरों को चिह्नित कर बाल चिकित्सा वार्ड और नवजात इकाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करें। इन बिस्तरों को केंद्रीय ऑक्सीजन आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 16 स्वास्थ्य संस्थानों में 224 एसएनसीयू बिस्तर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, डीडीयू शिमला, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नालागढ़ और जिला कांगड़ा के नागरिक अस्पताल नूरपुर व जोनल अस्पताल धर्मशाला में चार नवजात स्थिरीकरण (स्टेबलाइजेशन) इकाईयों को जल्द ही बीमार नवजात देखभाल इकाईयों के रूप में स्तरोन्नत किया जाएगा। राज्य में सात बाल रोग उच्च निर्भरता इकाइयां (पीडियाट्रिक हाई डिपेन्डेन्सी यूनिट) भी हैं, जिनमें 34 बिस्तर उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि सभी स्तरों पर नवजात और बाल रोगियों के लिए एक उपयुक्त आपातकालीन जांच क्षेत्र और उपचार सेवाएं सृजित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि उपचार से संबंधित सभी आवश्यक सुविधाएं जैसे उपचार में उपयोग होने वाली वस्तुएं, ऑक्सीजन स्पोर्ट, रेफरल स्पोर्ट, टेलीमेडिसिन सुविधा आदि सुनिश्चित की जा रही हैं।
कहा कि बाल रोग विशेषज्ञों, चिकित्सा अधिकारियों, बाल चिकित्सा देखभाल के लिए तैनात की जाने वाली नर्सों आदि के लिए भी अस्पताल प्रभारी द्वारा योजना तैयार की जाएगी। विभाग ने एसएनसीयू में सभी अक्रियाशील उपकरणों को जल्द से जल्द क्रियाशील करने के भी निर्देश दिए हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है, कि एसएनसीयू, पीडियाट्रिक एचडीयू, एनआईसीयू, पीआईसीयू को प्राथमिकता के आधार पर कार्यशील किया जाए।