नाहन, 26 अप्रैल : डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज का विवादों से गहरा रिश्ता रहा है। अब मेडिकल काॅलेज प्रशासन का एक सफेद झूठ सामने आया है। इससे साबित हो जाएगा कि कोविड के क्रिटिकल मरीजों के लिए सरकारी सिस्टम कितनी गंभीरता दिखा रहा है।

रविवार शाम को मेडिकल काॅलेज के एमएस डाॅ. श्याम कौशिक ने एमबीएम से बातचीत में डींगे हांकते हुए इस बात का खुलासा किया कि 5 वेंटिलेटर लग चुके हैं और 5 को सोमवार तक इंस्टाॅल कर लिया जाएगा। लेकिन सोमवार शाम को मेडिकल काॅलेज का एक हिला देने वाला झूठ सामने आया। इसके मुताबिक धरातल पर केवल ऑक्सीजन व चंद माॅनिटर्स के अलावा कुछ ओर नहीं हुआ है।
अब सवाल उठता है कि काॅलेज प्रशासन को झूठ बोलेन की क्या हड़बड़ाहट थी। खंगालने पर पता चला कि सोमवार को ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वीडियो काॅन्फ्रैंस करनी थी। इसमें मेडिकल प्रशासन को भी मौजूद रहना था। लिहाजा, अगर पूछा जाता तो कह दिया जाता कि 10 वेंटिलेटर इंस्टाॅल हो चुके हैं। एमबीएम न्यूज ने इस बात का भी पता लगाया कि वीडियो काॅन्फ्रेंस में मेडिकल काॅलेज प्रशासन से कोई सवाल पूछा गया तो जानकारी मिली कि मेडिकल काॅलेज के प्रिंसीपल के अलावा एमएस से सीएम ने कोई सवाल नहीं पूछा।
यहां पढ़ें क्या किया गया था दावा
आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि अब सिरमौर के क्रिटिकल मरीजों को कोई बैड नहीं मिलने वाला, क्योंकि निजी अस्पताल को वेंटिलेटर सुविधा देने से मना कर दिया गया है। यहां तक की रविवार को ही निजी अस्पताल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। हैरान कर देने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पताल से क्रिटिकल मरीजों को मेडिकल काॅलेज शिफ्ट करने के आदेश दिए हैं। जबकि धरातल में मेडिकल काॅलेज के पास सही तरीके से कोई व्यवस्था ही नहीं है।
कमाल की बात यह है कि निजी अस्पताल में एक एनेस्थीजिया एक्सपर्ट द्वारा वेंटिलेटर्स को संभाला जा रहा है, वहीं मेडिकल काॅलेज में 5 से 7 चिकित्सकों की फौज है। बावजूद इसके बार-बार स्टाफ न होने का रोना रो कर पल्ला झाड़ा जा रहा है। मेडिकल के निजी व सरकारी क्षेत्र में टकराव का खामियाजा लोगों को भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। आईजीएमसी शिमला ने रैफर मरीजों को लेने से सीधा इंकार कर दिया है। पीजीआई पहले ही मरीजों को नहीं ले रहा।
सिरमौर में पिछले एक सप्ताह से स्थिति भयावक हुई है। ऐसे में मरीजों को अपने हाल पर ही छोड़ने की तैयारी हो चुकी है।
उधर, सूत्रों ने एमबीएम न्यूज को ये भी बताया कि अगर मेडिकल काॅलेज द्वारा वेंटिलेटर इंस्टाॅल कर दिए होते तो इस बारे तमाम विभागों में एक सर्कुलर जारी होता। ऐसा कोई भी सर्कुलर सोमवार शाम तक जारी नहीं हुआ है। इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल के अलावा मेडिकल काॅलेज के एमएस डाॅ. श्याम कौशिक से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ने ही काॅल रिसीव नहीं की।
इसी बीच पूछे जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. केके पराशर ने केवल इतना कहा कि वेंटिलेटर सुविधा शुरू होने की कोई आधिकारिक जानकारी मेडिकल काॅलेज द्वारा नहीं मिली है।
इसी बीच सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि वो रूटीन कोरोना टैस्ट के लिए मेडिकल काॅलेज गए थे। उन्होंने कहा कि मेडिकल काॅलेज की व्यवस्था को सुधारने के लिए स्वास्थ्य मंत्री से रविवार को ही बात हुई थी।