रिकांगपिओ, 12 अप्रैल : कोरोना महामारी के दौर में जहां प्रदेश की जनता भारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है वहीं सरकार उन्हें राहत देने के बजाए लूटने में लगी है। यह बात प्रेस को दिए व्यक्तव्य में किन्नौर कांग्रेस प्रवक्ता केसर नेगी ने कही। प्रवक्ता केसर नेगी बताया कि एक तरफ प्रदेश सरकार ने ट्राइबल भवन शिमला में कमरों के किराया में बढ़ोतरी कर आम जनजातीय लोगों को अतिरिक्त बोझ दिया है। वही अब इस सरकार ने जनजातीय जिलों के किसानों की आर्थिकी का एक बड़ा स्रोत मटर की खेती पर भी अपनी कुदृष्टि डाल किसानों की कमर तोड़ी है।
किन्नौर और लाहौल-स्पीति के किसानों के आय का एक मुख्य स्रोत मटर की खेती है, लेकिन सरकार ने मटर के बीज जो कि कृषि विभाग द्वारा वितरित की जाती है, के दामों में बढ़ोतरी की है। किन्नौर में हाल में कृषि विभाग द्वारा वितरित किये गए मटर के बीज जिसका मूल्य गत वर्ष 45-50 रुपये प्रति किलो के मध्य था। इस बार सीधे 94 रुपये प्रति किलो के हिसाब से किसानों को बेचा गया। मटर के बीज के दाम को सीधे दोगुना कर प्रदेश सरकार ने किसानों की कमर तोड़ दी है।
महामारी में जहां सरकार से राहत की अपेक्षा की जाती है। वही प्रदेश की वर्तमान सरकार राहत देने के बजाए आम जनता, किसानों व बागवानों को लूटने में लगी है। केसर नेगी ने बताया कि हाल में बढे बीज के दाम से बहुत से छोटे किसानो ने इस वर्ष मटर की खेती की आस ही छोड़ दी है। नेगी ने बताया कि यह सब सरकार के कुप्रबंधन व गलत नीतियों का परिणाम है कि आज आपदा के दौर में किसानों को अपनी आजीविका के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
केसर नेगी ने सरकार से मांग की है कि मटर के बढे हुए बीज के दाम तुरंत वापिस लिए जाए और पुराने रेट पर किसानों को बीज उपलब्ध कराया जाए। जिन किसानों को बीज बेचा जा चुका है उन्हें पुराने दाम से ऊपर लिए पैसे लौटाया जाए। सरकार को चाहिए कि किसानों व बागवानों के लिए कृषि हेतु बीज में सब्सिडी मुहैय्या करा कर उन्हें राहत प्रदान करें न कि दोगुने दाम कर आपदा में अवसर तलाशे। यदि सरकार कृषि उत्पादों के दाम में बढ़ोतरी को तुरंत नही रोकती है तो कोंग्रेस किसानों व बागवानों को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।