मंडी, 10 अप्रैल : ’’अरे उसका चांस ज्यादा है। अरे नहीं, उसका चांस है ही नहीं। वो बंदा सीएम साहब का करीबी है, उसे ही चांस मिलेगा। अरे नहीं यार, फलां को मेयर और फलां को डिप्टी मेयर बनाया जाएगा, तुम देख लेना, चाहे तो शर्त लगा लो।’’ यह चर्चा मंडी शहर के गलियारों में आजकर कॉमन हो गई है। चाहे जो भी वर्ग हो हर वर्ग में इस वक्त इसी बात को लेकर चर्चा है कि नवगठित नगर निगम मंडी का पहला मेयर और डिप्टी मेयर कौन बनेगा। लेकिन चर्चा करने वाले शायद इस बात को भूल गए हैं कि हाल ही में जिला परिषद के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन का निर्णय कैसे हुआ था।
जिला परिषद के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के लिए भी कईयों के नाम चर्चा में आए। बड़े-बड़े नेताओं से नजदीकियों के हवाले दिए गए। लेकिन अंत में हुआ वही जो सीएम जयराम ठाकुर ने कहा। जब जिला परिषद के सभी निर्वाचित सदस्यों ने अंतिम निर्णय सीएम जयराम ठाकुर पर छोड़ दिया तो सीएम जयराम ठाकुर ने पाल वर्मा का नाम लेकर सभी चर्चाओं पर विराम लगा दिया। अब कुछ ऐसा ही नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के लिए होने वाला है। चर्चाएं हैं कि शहर से मेयर बनाया जाएगा।
कुछ चर्चाएं ऐसी भी हैं कि जो ग्रामीण क्षेत्र शहर में शामिल हुए वहां से मेयर बनेगा। हालांकि बहुत से लोग अपनी गोटियां फिट करने में लगे हुए हैं। लेकिन अंत में वही होगा, सभी चयनित पार्षद सीएम जयराम ठाकुर के पास जाएंगे और कहेंगे कि जो सीएम साहब कहेंगे वही फाइनल होगा और ऐसे में जो नाम उनकी जुबान से निकलेगा उस पर सभी को सहमति बनानी ही पड़ेगी।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है मेयर पद
नवगठित नगर निगम मंडी का मेयर पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस वर्ग से संबंध रखने वाले भाजपा समर्थित चार पार्षद चुनकर आए हैं। जिनमें सुहड़ा वार्ड से नेहा, थनेहड़ा वार्ड से दीपाली जसवाल, सन्यारड वार्ड से वीरेंद्र आर्य और बैहना वार्ड से कृष्ण भानू शामिल हैं। इनमें से ही कोई एक मेयर भी बनेगा, लेकिन वो कौन होगा, इसका निर्णय या तो सीएम जयराम ठाकुर ने पहले ही ले लिया है या फिर वो लेने वाले हैं। लेकिन होगा वही जिसे सीएम जयराम ठाकुर चाहेंगे। लेकिन जब तक निर्णय नहीं होता, तब तक मजे लो और चर्चाओं का दौर जारी रखा। चर्चाओं का कौन सा बिल आएगा।