हमीरपुर, 7 अप्रैल : मौजूदा दौर में हर माता- पिता अपने बच्चें को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराना चाहते है। गरीब व्यक्ति के पास केवल सरकारी स्कूल का ही विकल्प होता है। अगर कोई सरकारी विद्यालय ऐसा वातावरण तैयार कर दे कि पब्लिक स्कूल भी सुविधाओं व प्रशिक्षित स्टाफ (trained Staff) के मामले में पिछड़ते नजर आएं तो सूत्रधार (Mastermind) की तारीफ बनती है। ऐसे शिक्षकों की हौंसला अफजाई (Encouragement) की जानी चाहिए।
आज हम आपको ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे है, जो प्रदेश भर में एक मिसाल (Example) बनकर उभरा है। स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापकों ने भी अपने बच्चों को इसी स्कूल में दाखिल (Admission) करवाया है। यह स्कूल हमीरपुर के टौणी देवी के गांव बराड़ा में है। यह सरकारी हाई स्कूल है, जिसने आसपास के रहने वाले लोगों की सोच ही बदल दी है। राजकीय उच्च पाठशाला बराड़ा के चार अध्यापकों ने लोगों को सरकारी स्कूलों के प्रति प्रेरित (Inspire) करने के लिए अपने बच्चों को भी इसी स्कूल में दाखिल करवाया है।
स्कूल के मुख्य अध्यापक केवल ठाकुर ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से स्कूल के अध्यापक लगातार नजदीकी गांवों का दौरा (Visit) कर रहे हैं, जिससे पाठशाला में बच्चों के दाखिले के लिए अभिभावकों (Parents) को प्रेरित किया जा सके। उन्होंने बताया कि पाठशाला में कार्यरत अध्यापकों ने स्वयं आगे आते हुए अपने बच्चों को इसी पाठशाला में दाखिल करवाया है। पाठशाला में कार्यरत 8 अध्यापकों में से 4 शिक्षकों के बच्चे इसी पाठशाला में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
अध्यापक चुन्नी लाल, दीपक कुमार, अजय व कपिल शर्मा की बेटी व बेटा इसी स्कूल में पढ़ते है।
साथ ही साथ पाठशाला के स्टाफ ने स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे 10 फीसदी जरूरतमंद छात्रों को गोद लेने (Adopt) का निर्णय किया है। स्कूल प्रबंधन समिति प्रधान कैप्टन भूमि देव ने कहा कि इस पाठशाला में हिंदी मीडियम (Hindi Medium) के साथ-.साथ अंग्रेजी मीडियम (English Medium) में भी बच्चों को शिक्षा दी जाती है। निजी से बेहतर सरकारी स्कूल है।
मुख्य अध्यापक केवल ठाकुर ने कहा कि लोगों की सोच में फर्क है कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं करवाई जाती। ऐसा बिल्कुल नहीं है। सरकारी स्कूल हर मायने में निजी स्कूल से बेहतर है। यहां आपको हर सुविधा (Facility) मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि बारहवीं के बाद हर बच्चे के माता पिता यहीं चाहते है कि उनके बच्चें का चयन किसी सरकारी कॉलेज या संस्थान में हो जाए। तब क्यों हम सब निजी कॉलेज की तरफ से मुंह मोड़ लेते है। हमें केवल यही सोच बदलनी है।
लोगों को किया जा रहा जागरूक….
लोगों का सरकारी स्कूलों के प्रति रुचि बढ़ाने के स्कूलों को स्मार्ट बनाया जा रहा है, वहीं प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में अन्य सुविधा व खेल गतिविधियां (Sports Activities) भी करवाई जा रही है। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग ने इस बार सरकारी स्कूलों की पूरी जानकारी देने के लिए डोर टू डोर (Door to Door) लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि लोगों को सरकारी स्कूलों की उपलब्धियों (Achievements) के बारे में जानकारी हो सके। सोशल मीडिया के जरिए भी जागरूकता फैलाई जा रही है। जिसमें स्कूलों द्वारा अपने स्कूलों की फोटोज और स्कूलों में करवाए गए वर्क के बारे में जानकारी दी जा रही है। सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है।
हरेक सुविधा…..
आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि निजी स्कूलों की तर्ज पर स्मार्ट कक्षाएं मौजूद हैं। बेहतरीन तरीके से फर्नीचर की व्यवस्था की गई है। यही नहीं, स्कूल की बिल्डिंग भी बेहद ही आकर्षक है। प्रयोगशाला में हरेक मूलभूत ढांचा (Infrastructure) उपलब्ध है। कंप्यूटर लैब को देखकर कोई ये नहीं कह सकता कि सरकारी स्कूल की लैब है। स्पोर्ट्स गतिविधियों में भी छात्र आगे रहते हैं। स्कूल की दीवारों पर उकेरे गए संदेश छात्रों में एक जज्बा पैदा करते नजर आते हैं। खैर, स्कूल की सुविधाओं को यहां शब्दों में पिरो पाना कठिन है।