शिमला, 3 मार्च : हिमाचल विधानसभा के चोैथे दिन की शुरूआत एक बार फिर हंगामे के साथ हुई। कांग्रेस विधायकों के निलंबन के मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस ने हंगामा करने के बाद सदन से वॉकआउट कर दिया। सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने प्वाइंट आफ आर्डर के तहत कांग्रेस विधायकों के निलंबन का मुददा उठाया।
जगत सिंह नेगी ने एकतरफा व तानाशाही भरा फैसला करार देते हुए विधानसभा अध्यक्ष से इस पर व्यवस्था देने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि बजट सत्र के पहले दिन सदन की कार्यवाही स्थगित करने के बाद 12 बजकर 50 मिनट पर फिर से सदन को बुलाया गया जबकि सदन शुरू करने की सूचना विपक्ष को महज चार मिनट 12 बजकर 46 मिनट पर दी गई। इतने अल्प समय में विपक्षी सदस्यों का सदन में पहुंचना असंभव था।
विपक्ष के सदस्य स्पाइडर मैन व हनुमान तो हैं नहीं कि वे उड़कर सदन में पहुंच जाते। सदन को फिर से बुलाना और इसके लिए विपक्ष को उचित समय देना विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है। सदन स्थगित करने के बाद फिर से बुलाने पर सदस्यों को कम से कम 48 घंटे का समय दिया जाता है।
नेगी ने कहा कि विपक्ष की गैर मौजूदगी में पांच कांग्रेस विधायकों को निलंबित करने की सजा सुनाई गई। इतना ही नहीं विधानसभा में तैनात मार्शलों की शिकायत को आधार बनाते हुए इन विधायकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई। एफआईआर में पांचों विधायकों के विरूद्व आईपीसी की धारा 124 के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज करवाया गया।
जगत सिंह नेगी ने यह भी कहा कि क्या कांग्रेस के विधायक पाकिस्तानी व चीनी हैं कि इन पर देशद्रोह का मामला बनाया गया? नेगी के प्वांइट आफ आर्डर पर विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने प्रश्नकाल के बाद व्यवस्था देने की बात कही और प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा कर दी। जिस पर विपक्ष भड़क गया और नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर गया। इसके बाद विपक्ष की अनुपस्थिति में सदन में प्रश्नकाल चला तथा सतापक्ष के सदस्यों ने अपने-अपने सवाल पूछे।