नाहन, 26 जनवरी : भारतीय सेना में टाॅप-3 का रुतबा हासिल कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल अतुल सोलंकी को गणतंत्र दिवस के मौके पर अति विशिष्ट सेवा मैडल (AVSM) से अलंकृत किया गया है। शहर के अपर स्ट्रीट के रहने वाले लेफ्टिनेंट अतुल सोलंकी ने 1984 में भारतीय सेना में अपनी सेवाएं शुरू की थी। अप्रैल 2019 में मेजर जनरल से लेफ्टिनेंट जनरल बने थे। देश भर में सेना को एक समय में 14 लेफ्टिनेंट जनरल मिलते हैं। मई 2017 में उन्हें ब्रिगेडियर से मेजर जनरल बनने का मौका हासिल हुआ था। इस पद तक पहुंचने वाले वो नाहन के तीसरे बेटे हैं। करीब डेढ़ दशक पहले इस पद पर डीपी मोहिल व स्व. आरपी अग्रवाल पहुंचे थे।
सेना में 36 साल की सेवाओं के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल अतुल सोलंकी को अदम्य साहस व जांबाजी के लिए कई मैडल हासिल हुए हैं। जे एंड के में एलओसी की उत्तरी सीमा पर सेवाओं के लिए सेना मैडल से अलंकृत किया गया था। अहम बात यह है कि शिमला आरट्रैक में चीफ ऑफ़ स्टाफ रहने के दौरान देश में आर्मी की ट्रेनिंग की जिम्मेदारी का वहन बखूबी किया था। शिमला केवी स्कूल में पढ़े लेफ्टिनेंट जनरल अतुल सोलंकी का मूल नाता धारटीधार के मंधाला गांव से है, लेकिन दशकों पहले परिवार नाहन में सैटल हो गया था। परिवार की पृष्ठभूमि सेना से जुड़ी हुई है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से कहा कि वो सेवानिवृति के बाद अपने पैतृक प्रदेश की सेवा करना चाहते हैं।
भारतीय सेना में ऐसा भी बना था संयोग
जून 2017 में भारतीय सेना में एक गजब संयोग बना था। बचपन में एक ही मोहल्ले में रहने वाले दो दोस्त एक साथ ही मेजर जनरल बने थे। नाम भी एक ही थे। शहर की अपर स्ट्रीट के रहने वाले हैं। घर भी 100 मीटर की दूरी पर हैं। एक साथ ही दोनों ने 1984 में कमीशन हासिल किया था। दोनों ही दोस्तों को संयोगवश गोरखा राइफल ही मिली थी। लेफ्टिनेंट जनरल अतुल सोलंकी गोरखा राइफल-11 का हिस्सा बने। जबकि सेवानिवृत मेजर जनरल अतुल कौशिक ने गोरखा राइफल-4 संभाला। मेजर जनरल के पद से रिटायर होने के बाद अतुल कौशिक इस समय हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षा संस्थान विनियामक आयोग के सचिव हैं। अल्प अवधि में रिटायर्ड मेजर जनरल ने हिमाचल में निजी शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं।