नाहन, 16 जनवरी : चुनावी नतीजा चाहे जो भी हो, मगर शिलाई विकास खंड की झकांडो पंचायत में प्रचार का एक अनोखा तरीका ईजाद हुआ है। चूंकि, पहाड़ी इलाका है, घर दूर-दूर हैं, लेकिन धार पर माइक लगाकर अपनी बात घर-घर तक पहुंचाई जा सकती है। रियासतकाल के वक्त में भी संदेश को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल होता था।
अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए पहचान रखने वाले बलदेव सिरमौरी ने रियासतकाल की तकनीक को नए अंदाज में पेश कर यह भी साबित कर दिया है कि कुछ हटकर करने की चाह होनी चाहिए, रास्ता मिल जाता है। दरअसल, जुगाड़ से पहले एक माइक का इस्तेमाल हुआ। फिर इसे कुछ फुट ऊंचा उठाने के लिए अस्थाई टावर का निर्माण किया गया। खास बात यह है कि कानूनी पढ़ाई करने के बाद बलदेव सिरमौरी ने अपना नाता गांव से नहीं तोड़ा है। माइक से अपनी बात रखने के लिए बलदेव सिरमौरी ने दूर-दूर तक घर बैठे मतदाताओं को बखूबी अपनी बात पहुंचाई।
दिलचस्प बात यह है कि धार पर बिजली की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा इसके लिए भी बेहतरीन तरीके से बैटरियों का जुगाड़ किया गया। बलदेव सिरमौरी ने मौके पर चौक्का उस वक्त मारा, जब चुनाव प्रचार समाप्त होने में कुछ वक्त रह गया था। अपने संबोधन में बलदेव सिरमौरी ने कहा कि वो बेड़ावाद, क्षेत्रवाद व जातिवाद इत्यादि से हटकर विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव में उतरे हैं। बता दें कि लंबे अरसे से बलदेव सिरमौरी इलाके की समस्याओं को बखूबी उठाते रहे हैं। सितंबर महीने में ही एक मुहिम चलाकर लूण लोटे व बकरे काटने का भी विरोध किया था।
खैर, निश्चित तौर पर बलदेव सिरमौरी के विचार तो प्रशंसनीय है, मगर हार-जीत मतदाताओं के हाथ है। गौरतलब है कि झकांडों पंचायत में रविवार को प्रथम चरण में मतदान होना है। उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले बलदेव सिरमौरी ने पात्र बीपीएल परिवारों की धरातल की सच्चाई को सोशल मीडिया के मंच पर वायरल किया था। इससे कई गरीबों को न्याय मिला था।