सचिन ओबरॉय/पांवटा साहिब
राज्य के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी को मंगलवार रात करारा झटका लगा है। दोपहर के समय नगर परिषद में उपाध्यक्ष की कीमत पर भाजपा की सत्ता वापसी का ऐलान खुद मंत्री ने दोपहर के वक्त मीडिया के समक्ष किया, लेकिन देर रात को उपाध्यक्ष के लिए चयनित मीनू गुप्ता ने इंकार कर दिया।
हर कोई यह जानने की कोशिश कर रहा था कि यह नाटकीय घटनाक्रम क्यों हुआ और इसका सूत्रधार कौन है? इस पर से उस समय पर्दा हट गया जब मीनू गुप्ता आनन फानन में मनजिंदर सिंह मिक्का की मौजूदगी में मीडिया के सामने आ गई। मात्र 9 सैकंड में कहा कि वो सहमत नहीं है। ये बात शहर में आग की तरह फैल गई, जिससे भाजपा के खेमे में खलबली मच गई।
बता दें कि नगर परिषद में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, एक पार्षद की कमी की वजह से बीजेपी को निर्दलीय प्रत्याशियों की तरफ देखना पड़ रहा था। निर्दलीय मधुकर डोगरी पहले ही इंकार कर चुके थे। अब मीनू गुप्ता के इंकार से ऊर्जा मंत्री की जबरदस्त किरकिरी हुई है। चंद घंटों के भीतर ही घटनाक्रम बदल गया है। अब केवल एक ही निर्दलीय प्रत्याशी ऐसा है, जिसे उपाध्यक्ष का प्रलोभन देकर सत्ता की वापसी हो सकती है। पावंटा साहिब निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस भी कई गुटों में बंटी हुई है।
यही कारण रहता है कि भाजपा आसानी से सत्ता के करीब पहुंच जाती है। बहरहाल आनन-फानन में बुलाई गई पत्रकार वार्ता में मीनू गुप्ता ने कहा कि वह इत्तेफाकन मंत्री की पत्रकार वार्ता में पहुंची थी, उनका कोई भी इरादा पद लेने का नहीं था। चुनाव में भाजपा के 6 पार्षदों को जीत मिली थी। कांग्रेस समर्थित 4 को कामयाबी मिली वही तीन निर्दलीय जीते है। नजरे इस बात पर भी है कि क्या बीजेपी अब कांग्रेस के खेमे भी सेंधमारी करने की कोशिश करेगी या फिर नहीं।