मंडी, 06 जनवरी : हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला राजनीति, सांस्कृतिक और धार्मिक लिहाज से विशेष महत्व रखता है। यूं तो मंडी जिला को कांगड़ा के बाद दूसरे नंबर पर आंका जाता है, लेकिन जो मजा यहां काम करने का है वो शायद किसी दूसरे जिले में नहीं। यही कारण है कि इस महत्वपूर्ण जिले में डीसी मंडी की कुर्सी पर विराजमान होना किसी भी आईएएस अधिकारी के लिए गौरव और गर्व की बात होती है। मौजूदा समय में तो जिला मुख्यमंत्री का गृहजिला है, इसलिए यहां डीसी की कुर्सी संभालना और भी चुनौती पूर्ण और गौरव पूर्ण हो जाता है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि जिला में डीसी मंडी की कुर्सी के बारे में। आखिर कौन रहा यहां सबसे लंबे समय तक और कौन रहा कुछ दिनों का मेहमान।
यशोधन सिंह थे मंडी जिला के पहले डीसी
18 जून 1948 को यशोधन सिंह ने जिला के पहले डीसी के रूप में अपना कार्यभार संभाला था। तब से लेकर आज तक 39 अधिकारी जिला की बागडोर संभाल चुके हैं। उनके बाद वजीर चंद दूसरे डीसी के रूप में यहां पर रहे। यह दोनों अधिकारी आईएएस थे या नहीं इसको लेकर जानकारी स्पष्ट नहीं है। लेकिन इसके बाद जितने भी डीसी के पद पर रहे वो सभी आईएएस अधिकारी ही थे।
ऋग्वेद ठाकुर तीन साल पूरा करने वाले 7वें डीसी
2011 बैच के आईएएस अधिकारी ऋग्वेद मिलिंद ठाकुर जिला के 7वें ऐसे डीसी बन गए हैं जिन्होंने अपना तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया है और मौजूदा समय में भी यह इस पद पर बरकरार हैं। 6 जनवरी 2018 को ऋग्वेद ठाकुर ने बतौर डीसी अपना कार्यभार संभाला था। आज उनके कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे हो गए हैं। महाराष्ट्र के रहने वाले ऋग्वेद मिलिंद ठाकुर इससे पहले डीसी बिलासपुर और एडीसी मंडी के पद भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। मौजूदा सरकार में इन्हें सीएम के गृहजिला की बागडोर मिली है जिसका यह बखूबी संचालन कर रहे हैं। ऋग्वेद ठाकुर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के काफी पसंदीदा अधिकारी माने जाते हैं। यही कारण है कि सीएम ने अपने गृहजिला की अधिकतर ब्यूरोक्रेसी को बदल दिया लेकिन ऋग्वेद ठाकुर को उनके वर्तमान पद पर ही कायम रखा हुआ है।
एचआर महाजन 6 वर्षों तक रहे थे डीसी मंडी के पद पर
आईएएस अधिकारी एचआर महाजन 6 वर्षों तक डीसी मंडी के पद पर रहे थे। उनका यह रिकार्ड शायद ही कोई अन्य अधिकारी कभी तोड़ पाएगा। 29, सितंबर 1959 से 09, अक्टूबर 1965 तक उन्होंने 6 साल 10 दिनों तक बतौर डीसी मंडी में अपना कार्यभार संभाले रखा। इनके बाद दूसरा नंबर आता है तरूण श्रीधर का। तरूण श्रीधर ने करीब पौने चार वर्षों तक बतौर डीसी अपनी सेवाएं दी। जिला के लोग आज भी तरूण श्रीधर के कार्यकाल को याद करते हैं। 06, अगस्त 1993 से 28, अप्रैल 1997 तक उन्होंने यहां अपनी सेवाएं दी थी। इसके अलावा सीडी परशिरा, प्रबोध सक्सेना, देवेश कुमार और संदीप कदम उन आईएएस अधिकारियों में शामिल हैं जिन्होंने बतौर डीसी अपने तीन वर्षों के कार्यकाल को पूरा किया। देवेश कुमार सत्ता परिवर्तन के बाद भी डीसी के पद पर बने रहे थे और अपना तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा किया था। एसएम कंवर भी इस लिस्ट में शामिल हो जाते अगर उन्हें तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से कुछ दिन पहले न बदला होता। तीन वर्ष पूरा होने से मात्र 17 दिन पहले उनका तबादला हो गया था।
मदन चौहान ने बिताया सबसे छोटा कार्यकाल
18, जून 1948 से लेकर आज दिन तक 7 डीसी ऐसे भी हुए जिन्हें अपना एक वर्ष का कार्यकाल भी पूरा करने को नहीं मिला। इनमें मदन चौहान का कार्यकाल सबसे छोटा रहा। उन्होंने मात्र 3 महीने 18 दिन ही अपनी सेवाएं दी। इसके बाद यूएस श्रीवास्तव का नाम आता है जोकि 3 महीने 23 दिन डीसी के पद पर रहे। इसके अलावा यशोधन सिंह, बसंत राय जैन, संजीव गुप्ता, सुभाष अहलूवालिया और जेपी सिंह भी उन अधिकारियों में शामिल हैं जो एक वर्ष का कार्यकाल भी बतौर डीसी पूरा नहीं कर सके।
राजवंत संधू जिला की इकलौती महिला डीसी
आईएएस अधिकारी राजवंत संधू जिला की इकलौती महिला डीसी रही हैं। 19, जून 1984 से 15, अक्टूबर 1986 तक उन्होंने बतौर डीसी अपनी सेवाएं दी। राजवंत संधू से पहले और बाद में किसी भी महिला अधिकारी को यह जिम्मेवारी किसी भी सरकार ने नहीं सौंपी।