शिमला, 30 दिसम्बर : कोरोना संक्रमण के बीच कोविड़ व नॉन कोविड़ मरीजों को ईलाज देने को लेकर वर्ष 2020 आईजीएमसी के लिए चुनौतियाँ भरा रहा। कोरोना के शुरूआती दौर में कोरोना से लडने के लिए कई समस्याएं भी आई, लेकिन चिकित्सकों ने इन समस्याओं के साथ भी मरीजों का इलाज किया। वर्ष 2020 में अस्पताल में होने वाली ओपीडी में साढ़े तीन लाख की गिरवाट आई है।
बुधवार को आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज ने बताया कि कोरोना के बीच 16 अप्रैल को आईजीएमसी देश का अस्पताल बना जहां चिकित्सकों ने मरीजों के लिए ओपीडी शुरू की। लेकिन इसके बावजूद भी वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 में ओपीडी घटी है। वर्ष 2019 में 7 लाख 86 हजार 69 ओपीडी हुई थी। वहीं इस वर्ष 2020 में 4 लाख 19 हजार 92 ओपीडी रही। यही नहीं वर्ष 2019 में जहां भर्ती किए मरीजों में 43127 का ईलाज किया। वहीं यह घट कर 30514 रहा। इसके अतिरिक्त दोनों सालों में अस्पताल में हुई मौतों में अधिक अतंर नहीं रहा। 2019 में नॉन कोविड मरीजों की 1635 मौतें हुई जबकि 2020 में यह आंकड़ा 1310 रहा। वहीं कोरोना संक्रमति 264 लोगों की मौत हुई है।
डॉ जनक राज ने बताया कि प्रदेश सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के तहत वर्ष 2020 में प्रदेश सरकार ने मरीजों पर 28 करोड़ 61 लाख रुपए की राशि खर्च की है। आयुष्मान भारत के तहत 5725 मरीजों का इलाज किया। जिसमें 10 करोड़ 6 लाख 80 हजार रुपए का खर्च किए गए। इसके अतिक्ति हिमकेयर योजनाओं के 9021 मरीजों का इलाज किया। जिसमें 17 करोड़ 50 लाख 95 हजार खर्च किया गया। इसके अतिरिक्त जननी सुरक्षा योजना के तहत 667 का इलाज किया। जिसमें 50 लाख के करीब खर्चा हुआ।
मुख्यमंत्री सहायक चिकित्सका कोष के तहत 16 लोगों का इलाज किया गया। जिसमें 37 लाख का खर्च आया। वहीं मुख्यमंत्री राहत कोष के तहत 7 लोगों का ईलाज किया गया। बाल स्वास्थ्य के तहत 14 बच्चों को इलाज किया गया।