नाहन, 25 दिसंबर: 23 साल की उम्र में माता-पिता की इकलौती संतान अंचित डोगरा ने यूपीएससी की 2016 की रैंकिंग में स्थान अर्जित कर लिया था। आर्मड फोर्सिज हैड क्वाटर्स सिविल सर्विसिज (AFHQCS) में चयन भी हो गया। उल्लेखनीय है कि यूपीएससी 2016 में अंचित को 1073वां रैंक हासिल हुआ था।
हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हिमाचल में अंचित डोगरा ने सबसे कम उम्र में जिला पंचायत अधिकारी(DPO) का पद हासिल करने का गौरव हासिल किया है। 26 वर्षीय अंचित डोगरा राज्य में सबसे कम उम्र के सेवारत(Serving) डीपीओ भी हो सकते हैं।
चाहते तो यहां कैरियर की पारी की शुरूआत कर यूपीएससी (UPSC) में दोबारा भी चांस ले सकते थे। मगर मन में अपने ही प्रदेश में सार्वजनिक सेवा (Public Service) से जुड़ने का विचार कौंधा। एचएएस की एलाइड परीक्षा-2017 में जिला पंचायत अधिकारी का पद मिला तो काफी हद तक संतुष्ट हो गए। वजह ये थी कि इस पद पर रहते हुए पंचायतीराज से धरातल पर जुड़ने का अवसर था।
हर कोई इस बात से वाकिफ है कि पंचायतीराज प्रणाली की देश की तरक्की में क्या अहमियत है। तमिलनाडू के वन विभाग में अतिरिक्त पीसीसीएफ राकेश कुमार डोगरा व अनुराधा डोगरा के घर जन्में बेटे अंचित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के करोडीमल काॅलेज से ग्रेजुएशन की है। बचपन से ही अपने माता-पिता से प्रेरित अंचित ने जीवन में कभी भी चकाचौंध की दुनिया में कदम रख मोटी तनख्वाह की नहीं सोची।
अविवाहित अंचित डोगरा बताते हैं कि उनके पास अब भी यूपीएससी के चांस उपलब्ध हैं, मगर वो काफी हद तक अपने पैतृक प्रदेश हिमाचल के पंचायतीराज सिस्टम से जुड़ चुके हैं।उल्लेखनीय है कि चंद महीने पहले ही अंचित ने सिरमौर में जिला पंचायत अधिकारी के पद पर अपनी पारी शुरू की है।
डीपीओ के पद पर तीसरी तैनाती में उन्हें चुनावी दारोमदार भी उठाना पड़ा है। हालांकि वो मानते हैं कि सामान्य चुनाव पहली बार करवा रहे हैं, लेकिन पंचायतीराज के उप चुनाव का अनुभव पहले से भी है। मूलतः कांगड़ा के पालमपुर की एमा पंचायत के रहने वाले अंचित ने अपने जीवन का कैरियर 22 साल 10 माह की उम्र में ही शुरू कर दिया था। बेशक ही माता अनुराधा डोगरा होम मेकर हैं, लेकिन उन्होंने भी एमबीए की पढ़ाई की है।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में यंग डीपीओ अंचित डोगरा ने कहा कि पंचायतीराज के चुनाव को सही व निष्पक्ष तरीके से करना लक्ष्य है। उनका कहना था कि वो कभी भी काॅर्पोरेट की दुनिया की तरफ आकर्षित नहीं हुए। अलबत्ता बचपन में पिता के साथ रहने के दौरान कई अनुभव मिले। इसी कारण जीवन की दिशा भी बदली। उनका कहना था कि पंचायतीराज प्रणाली में सीधे ही ग्रामीण स्तर (Village level) पर जुड़ाव रहता है। यहां कुछ करने के लिए एक व्यापक संभावना रहती है।