हमीरपुर, 13 दिसंबर : किसानों की आय बढ़ाने और युवा पीढ़ी को खेती के लिए प्रेरित करने हेतु हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में आरंभ की गई जाइका परियोजना के बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। जाइका परियोजना के माध्यम से फसल विविधीकरण को अपनाकर खेती की तस्वीर बदलने वाले विभिन्न जिलों के गांवों की फेहरिस्त में अब जिले के विकास खंड भोरंज का छोटा सा गांव झिनिकरी भी शामिल हो गया है। कभी पानी की कमी से जूझने वाले इस गांव के खेतों में भी अब नकदी फसलें लहलहाने लगी हैं और इससे गांव के कई किसानों की वार्षिक आय तीन से साढे तीन गुणा तक बढ़ गई है।
दरअसल, गांव झिनिकरी के किसान कई पीढिय़ों से गेहूं और मक्की जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते आ रहे थे और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध न होने के कारण पिछले कई वर्षों से इन पारंपरिक फसलों की पैदावार भी बहुत ही कम हो रही थी। इस बीच जाइका परियोजना के आने के बाद गांव के किसानों का रुझान फसल विविधीकरण की ओर बढऩे लगा। गांव के 61 किसान परिवारों को जाइका परियोजना से जोड़ा गया तथा यहां की पुरानी सिंचाई योजना की मरम्मत करवाकर लगभग 26 हैैक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई। किसानों को लगभग चार लाख रुपये के आधुनिक उपकरण, ट्रैक्टर, स्पे्र पंप, पाइप, स्प्रिंकलर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। उन्हें केंचुआ खाद तैयार करने का प्रशिक्षण भी दिया गया।
जाइका के माध्यम से सभी सुविधाएं और प्रशिक्षण मिलने के बाद झिनिकरी के किसान अब खरीफ के मौसम में कद्दूवर्गीय फसलें, फ्रासबीन, हल्दी अदरक और टमाटर की भरपूर पैदावार ले रहे हैं, जबकि रबी मौसम में गोभी वर्गीय फसलें, मटर, धनिया, मूली, शलगम, माश चना, सरसों और अलसी आदि नकदी फसलें उगाकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। गांव के प्रगतिशील किसान हेमराज, मनोहर लाल, चैन सिंह, दिलीप सिंह, देवराज और अन्य किसान नकदी फसलों से अच्छी कमाई कर रहे हैं। वे गांव की जाइका उप-परियोजना का संचालन भी स्वयं ही कर रहे हैं। गांव में महिला स्वयं सहायता समूह का गठन भी किया गया है तथा इसकी सदस्य महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया है। ये महिलाएं मशरूम उत्पादन कर रही हैं
गांव में सब्जियों की बेहतर किस्म की नर्सरी तैयार करने के लिए जाइका के तहत लगभग एक लाख 66 हजार रुपये की लागत से पॉलीहाउस लगाया गया है, जिसका रख-रखाव प्रगतिशील किसान हेमराज कर रहे हैं। नकदी फसलों की पौध के साथ-साथ हेमराज इस पॉलीहाउस में सब्जियां भी लगा रहे हैं। पिछले खरीफ मौसम में उन्होंने इसी पॉलीहाउस में टमाटर लगाकर लगभग 45 हजार रुपये की शुद्ध आय अर्जित की।
उधर, जाइका के परियोजना निदेशक डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि गांव झिनिकरी के किसानों को पिछले वर्ष खरीफ और रबी के मौसम में नकदी फसलों जैसे सब्जी, दलहन, तिलहन आदि से प्रति हैक्टेयर सालाना 2 लाख 40 हजार रुपये से अधिक आय हुई। जाइका परियोजना से पहले इनकी प्रति हैक्टेयर सालाना आय लगभग 68 हजार रुपये थी। इस प्रकार फसल विविधीकरण को अपनाकर इस गांव के किसान खुशहाली की राह पर अग्रसर हैं।