रामपुर/मीनाक्षी भारद्वाज, 11 दिसंबर : काशापाट जाने वाले रोड़ को यदि हिमाचल का सबसे कठिन व दुर्गम रोड़ कहा जाए तो इसमें कोई दोराय नहीं है। शिमला जिला के रामपुर उपमंडल के सबसे दुरदराज व पिछड़ा क्षेत्र काशापाट पहुंचना खतरे से खाली नहीं है। जान को हथेली पर रख कर इस रोड़ को पार करना पड़ता है। यह रोड़ लगभग 8 किलोमीटर के करीब हैं। इस रोड़ को पार जो भी करता है वह अपनी जान को हथेली पर रख कर ही करता है।
वहीं यहां के ग्रामीण दुर संचार व्यवस्था से भी वंचित हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जहां कोरोना काल में छात्र अपने घरों में ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वहीं काशापाट के छात्र इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
काशापाट के लिए सफर जोगड़ी से आगे शुरू होता है। जोगड़ी से कुछ ही दुरी पर जाकर खतरनाक कहलाने वाला सफर शुरू होता है। यह ऐसा सफर हैं यदि ऐसे मे कोई दुर्घटना भी घट जाए तो कोई भी किसी को सूचित नहीं कर पाएगा, क्योंकि ऊपर पहाड़ तो नीचे खाई है। आस-पास सुनसान पहाड़ मौजूद हैं। जहां पर रहने से जंगली जानवर भी परेज करते हैं। इस रोड को काशापाट के लिए बनाने का कार्य 2005 मे शुरू किया गया था। जो अभी तक भी पुर्ण नहीं हो पाया।
इस रोड़ को निकालने वाले कामगारों व ठेकेदारों को भी दाद हैं, जिन्होंने इस रोड़ को निकालने में सहमति भरी ओर आखिर इस रोड़ को अंतिम चरण तक पहुंचा दिया। इस रोड के काशापाट में आने से पहले यहां के लोग देश दुनिया से पुरी तरह से कटे थे। अब इस रोड़ को स्थानीय ग्रामीण पक्का करने की मांग कर रहे हैं ग्रामीणों का कहना है की इस रोड़ को पास भी कर दिया गया है। लेकिन पक्का नहीं किया गया। इसके साथ इस रोड़ पर क्रैश बेरियर लगाना अति आवश्यक है। ताकि इस रोड़ पर सफर थोड़ा सुरक्षित हो जाए।
वहीं इसको लेकर एसडीओ तकलेच शोभाराम ने बताया कि काशापाट रोड को पक्का करने का कार्य ठेकेदार को दे दिया गया है। जोगणी से काशापाट तक लगभग 13 किलोमीटर की दूरी को पक्का किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसमें क्रैश बैरियर, पक्का करना वह कलबट लगाने का कार्य किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया इस सडक़ को लॉकडाउन से पहले ठेकेदार द्वारा पक्का करने का कार्य शुरू कर दिया था। लेकिन उसके बाद मजदूर घर लौट गए जिसके बाद फिर से कार्य शुरू नहीं किया गया है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में विभाग द्वारा ठेकेदार को पत्र लिखकर सूचित कर दिया गया है कि इस रोड को जल्द से जल्द पक्का किया जाए इसका कार्य लगभग 8 करोड की लागत से किया जा रहा है।