कुल्लू, 30 नवंबर : हिमाचल में “थैरेपी ऑन व्हील” (Therapy on wheels) सेवा शुरू हुई है। इस थैरेपी बस में रिमोट इलाकों (Remote Areas) में रहने वाले दिव्यांग बच्चों (Children with disabilities) को घरों में ही अलग-अलग थैरेपी हासिल करने की सुविधा मिलेगी। आश बाल विकास केंद्र (Aash Child Development Center) कुल्लू द्वारा अटल सदन से थैरेपी बस (Therapy Bus) का श्रीगणेश (Inauguration) किया गया। शिक्षा मंत्री द्वारा थैरेपी ऑन व्हील को हरी झंडी (green flag) दिखाई गई। केंद्र के निदेशक एवं ऑक्युपेशनल थैरेपिस्ट (Occupational therapist) श्रुति मौर्य ने इस मौके पर शिक्षा मंत्री को बस में उपलब्ध चिकित्सा उपकरणों (Medical devices) से अवगत करवाया। साथ ही इस बात का खुलासा भी किया कि कैसे ये बस दूरदराज क्षेत्र में दिव्यांग बच्चों की मदद करेगी।
इस मौके पर विधायक सुरेंद्र शौरी के अलावा डीसी ऋचा वर्मा व एसपी गौरव सिंह इत्यादि खास तौर पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रोग्राम मैनेजर (Program manager) बैजू द्वारा उपस्थित लोगों को विस्तार से बस के बारे में बताया गया। संभव है कि हिमाचल में इस तरह की सेवा पहली बार शुरू की गई है। कार्यक्रम में मुख्यातिथि द्वारा आश बाल विकास केंद्र द्वारा दिव्यांगता पर आयोजित ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता (Online speech competition) के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए गए।
केंद्र की निदेशक श्रुति मौर्य ने कहा कि थैरेपी ऑफ़ व्हील एक मोबाइल क्लीनिक (Mobile clinic) है, जिसमें एक ऐसा सैटअप लगाया गया है, जो अलग-अलग थैरेपी उपलब्ध करवा सकता है। उन्होंने बताया कि बस के भीतर ही ट्रैडमिल, थैरेपी वाॅल, खिलौने, व्हील चेयर, विस्तृत फर्श, छत व अन्य सहायक उपकरण मौजूूद हैं।
थेरेपी बस लोगों में जागरूकता फैलाने में भी सक्रिय भूमिका निभाएगी और विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों को चिकित्सा प्रदान करने के महत्व के बारे में जानकारी देगी। चिकित्सा के साथ- साथ थैरेपी बस लोगों को दिव्यांगता के प्रति जागरूक भी करवायेगी। ऐसा करने के लिए, एक इन-बिल्ट प्रोजेक्टर (In-built projector) का उपयोग किया जाएगा, जो स्थानीय निवासियों को दिव्यांगता की शुरुआती पहचान और दिव्यांगता के हस्तक्षेप के महत्व पर शिक्षित करने में सहायता करेगा। कोविड -19 के इस समय में तो यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चे चिकित्सा के लिए केंद्र में नहीं आ सकते हैं।