शिमला, 26 नवम्बर : हिमाचल हाईकोर्ट ने पुलिस उप निरीक्षक के खिलाफ ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने के आरोप को लेकर विभागीय कार्रवाई अमल में लाने के आदेश जारी किए हैं। उप निरीक्षक के खिलाफ यह आरोप है कि उसकी लापरवाही के कारण मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक मामले का चालान देरी से दायर किया गया। उस पर आरोप है कि उसने अपना स्थानांतरण ऊना से किनौर होने पर अभियोजन सम्बन्धी फाइलें एसएचओ ऊना को समय पर नहीं सौंपीं। फाइलें न सौंपने को लेकर इस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।
आरोप है कि उप निरीक्षक खुद पुलिस विभाग से होने के कारण उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार करवाने में कामयाब हो गया। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने पुलिस महानिदेशक को इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने के निर्देश जारी किए है। सब इंस्पेक्टर अंकुश डोगरा के खिलाफ गैरकानूनी ढंग से आपराधिक मामले की फाइल अपने पास रखने के लिए कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने के आदेश जारी किए। इस अधिकारी के खिलाफ इस कृत्य के लिए उचित कार्रवाई न करने व मामले की एफआईआर की रद्दीकरण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के पीछे रही मनसा की जांच व्यक्तिगत तौर पर करने के आदेश भी जारी किए गए।
चालान पेश करने में देरी के कारण की व्याख्या करने में विफल रहे अधिकारी से भी स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए कहा गया है। पुलिस महानिदेशकए हिमाचल प्रदेश को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे जांच अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करें, ताकि उन्हें चालान/अंतिम रिपोर्ट में तथ्यों और परिस्थितियों की ठीक से व्याख्या करने में मदद मिल सके।
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए व उपरोक्त अधिकारी के कारण हुई देरी के स्पष्टीकरण के दृष्टिगत प्रार्थी द्वारा उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की गुहार को नामंजूर कर दिया। कोर्ट के आदेशों के अनुसार अनुपालना रिपोर्ट 5 जनवरी 2021 तक न्यायालय के समक्ष पेश करने के आदेश जारी किए हैं।